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नई दिल्लीः भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान और स्टार स्ट्रीकर सुनील छेत्री का मानना है कि भारत को सबसे पहले एशिया के शीर्ष 10 देशों में जगह बनाने का लक्ष्य रखना होगा तभी जाकर वह भविष्य में फीफा विश्व कप में खेलने के बारे में सोच पाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में देश के लिए सर्वाधिक गोल करने वाले छेत्री ने रविवार को गुडग़ांव स्थित हेरिटेज स्कूल में‘किया मोटर्स इंडिया’द्वारा स्कूली फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए आयोजित ट्रायल से इतर संवाददाताओं से यह बात कही। किया मोटर्स फीफा का आधिकारिक पार्टनर है और उसने पहली बार इस तरह का ट्रायल आयोजित किया है जिसमें से चुने गए छह बच्चों को इस वर्ष रूस में होने वाले फीफा विश्व कप फुटबॉल टूर्नामेंट का हिस्सा बनने का यादगार मौका मिलेगा।

भारतीय कप्तान से भारत के भविष्य में कभी विश्व कप ममें खेलने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''भारत को फ़ीफ़ा विश्व कप मे भाग लेने के लिए अभी लंबा सफऱ तय करना पड़ेगा। भारतीय फुटबॉल के लिए विश्व कप तब ही संभव हो सकता है जब हम एशिया के पहले दस देशों मे जगह बनाएं और इस स्थान को लगातार बनाए रखें।'' छेत्री ने कहा, ''एशिया में शीर्ष 10 देशों में जगह पक्की करने और इसे लगातार बनाए रखने के बाद भारत फिर इस महाद्वीप की शीर्ष पांच टीमों में आने का लक्ष्य रखे और इसे पूरा करे। एशिया से पांच टीमें विश्व कप में उतरती हैं।'' उल्लेखनीय है कि भारत विश्व रैंकिंग में 97 वें और एशिया रैंकिंग में 15 वें नंबर पर है। छेत्री ने कहा, ''विश्व कप में खेलने को लेकर सवाल मुझसे सैकड़ों बार पूछा जा चुका है और इस समय मेरा मानना है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारे पास एक संतुलित टीम है जिसमें कई युवा खिलाडी हैं। मुझे, पॉल और जेजे को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर खिलाडी युवा हैं। हमारी एक युवा टीम है और मुझे लगता है कि युवा खिलाडिय़ों को इस मौके को भुनाना चाहिए।''  

उन्होंने साथ ही कहा, ''बदलाव आ रहा है और आजकल के भारतीय बच्चे देश की फुटबॉल को सही दिशा दे पाएंगे ऐसा मुझे विश्वास है। आईएसएल और आई लीग ने भारतीय फुटबॉल को काफी बदला है और भारतीय खिलाडिय़ों को विदेशी खिलाड़यिों की उपस्थिति से सीखने का मौका मिल रहा है।'' ट्रायल में दिलचस्प बात यह रही कि छेत्री ने बच्चों की तो क्लास ली ही साथ ही उनके माता पिता की भी क्लास ली। इस ट्रायल से अगले माह रूस मे होने वाले फ़ीफ़ा विश्व कप में भारत से छह स्कूली फुटबॉल खिलाडिय़ों को बॉल ब्वायज के रूप मे उतरने का जीवन का यादगार मौका मिलेगा जिनमें से दो श्रेष्ठ खिलाड़ियों को मैचों से पहले आधिकारिक बॉल लेकर मैदान में जाने का मौका मिलेगा जबकि बाकी चार अन्य दर्शक दीर्घा मे बैठकर मैचों का लुत्फ़ उठाएंगे। ट्रायल में 50 बच्चे हिस्सा ले रहे हैं। 

भारतीय फुटबॉल कप्तान ने उभरते खिलाड़ियों को खेल की बारीकियां तो सिखाई ही, साथ ही उन्हें फुटबॉल को गंभीरता से लेने और दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल के चैंपियन खिलाड़ियों से सीखने का सबक भी पढ़ाया। इस अवसर पर किया मोटर्स इंडिया के मार्केटिंग एवं सेल्स प्रमुख मनोहर भट्ट मौजूद थे। छेत्री ने छोटी उम्र के खिलाड़ियों से कहा कि अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी बनने के लिए सबसे पहले उन्हें एक अच्छा और अनुशासित इंसान बन कर दिखाना होगा। आप अपने बचपन को हंस खेल कर जिएं, शरारत भी करें लेकिन ऐसा कुछ ना करें जिससे माता पिता की भावनाओं और उम्मीदों को ठेस पहुंचे। उन्होंने कहा कि आपके माता पिता आपको चैंपियन फुटबॉलर बनाना चाहते हैं जिसे पूरा करने के लिए सही समय पर सोना, सही खाना और नियमित अभ्यास कारूरी है। वह खुद आर्मी पब्लिक स्कूल और ममता मॉडर्न स्कूल में पढ़े और खेले। फुटबॉल के साथ साथ वह पढ़ाई-लिखाई में भी अव्वल रहे जिससे उन्हें माता-पिता का हमेशा समर्थन मिला। पहले बच्चों ने और फिर उनके माता- पिता ने छेत्री की बातों को ध्यान से सुना।