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रांची : एशिया कप में सर्वाधिक रन बनाकर मैन ऑफ द सीरीज बनने वाले शिखर धवन का पिछली 15 पारियों में बल्ला खामोश सा हो गया है। एशिया कप के बाद से वह 15 पारियों में केवल 376 रन ही बना पाए हैं जबकि उनका औसत इस दौरान सिर्फ 26.85 ही रहा है। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानें तो धवन की खराब फार्म तकनीक नहीं बल्कि उनकी मानसिकता की वजह से है। आस्ट्रेलिया के खिलाफ हैदराबाद में पहले वनडे में तेज गेंदबाज नाथन कूल्टर नाइल ने उन्हें आउट किया जबकि नागपुर में दूसरे मैच में ग्लेन मैक्सवेल ने उन्हें गच्चा दिया।

प्रथम श्रेणी मैचों में धवन के साथ पारी की शुरुआत कर चुके आकाश चोपड़ा तथा दिल्ली की टीम में धवन के कप्तान और कोच रहे विजय दहिया दोनों ने स्वीकार किया कि बाएं हाथ का यह बल्लेबाज बुरे दौर से गुजर रहा है। पूर्व भारतीय विकेटकीपर दीप दासगुप्ता का मानना है कि मानसिकता एक मसला है क्योंकि धवन हमेशा रन बनाने के तरीके ढूंढ लेता है। 

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चोपड़ा ने कहा- इसका खंडन नहीं किया जा सकता कि धवन बुरे दौर से गुजर रहा है लेकिन अब केवल तीन अंतरराष्ट्रीय मैच बचे हैं और मुझे नहीं लगता कि कोई बड़ा बदलाव होगा। उन्होंने कहा- उसका बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट (विश्व कप, चैंपियन्स ट्राफी, एशिया कप) में शानदार रिकार्ड रहा है। वह किसी भी समय फार्म में वापसी कर सकता है। दहिया का मानना है कि धवन का मसला मानसिकता से जुड़ा है और वह तेजी से रन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 

दहिया ने कहा- मैं यह नहीं कहूंगा कि यहां तकनीक बड़ा मसला है क्योंकि उसने जितने भी चौके लगाए वह विकेट के सामने से लगाए। भले ही वे आफ साइड में नहीं थे लेकिन वे विकेट के पीछे के शॉट नहीं थे। दहिया ने कहा- वह तेजी से रन बनाने की कोशिश कर रहा है। मैक्सवेल के खिलाफ ऐसा ही हुआ। उसने सोचा कि मैक्सवेल कामचलाऊ स्पिनर है तो वह तेजी से रन बना सकता है और इसलिए उसने पुल शॉट खेला।     

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दासगुप्ता ने कहा- नागपुर में वह क्रीज पर पांव जमा चुका था और आसानी से उस गेंद को लांग आफ या लांग आन पर खेल सकता था। ऐसा तब होता है जबकि आप थोड़ा भ्रम की स्थिति में होते हो। शिखर अगर पहले दो ओवरों में ही अपना अगला पांव काफी आगे निकालकर कवर ड्राइव खेल रहा है तो आप समझ सकते हो कि वह अच्छी लय में है।

प्रतिस्पर्धा का दबाव किसी मानसिकता को प्रभावित कर सकता है और केएल राहुल ने अपनी फार्म हासिल कर ली है और दहिया का मानना है कि यह बात धवन के दिगाम में हो सकती है। दहिया ने कहा-जब कोई आपकी जगह लेने के लिए तैयार हो तो आप दबाव महसूस करते हो। ऐसी परिस्थितियों में आपका दिमाग कैसे काम करता है यह महत्वपूर्ण होता है।