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नई दिल्लीः जिंदगी काैन से मोड़ पर आकर बदल जाए कोई नहीं पता। ऐसा ही कुछ हुआ एक भारतीय गेंदबाज के साथ, जिसने दिनभर मजदूरी करके 35 रूपए कमाकर घर चलाया आैर फिर अचानक उसकी भारतीय क्रिकेट टीम में सेलेक्शन होती है जिसके बाद उसकी सारी जिंदगी खुशियों में तब्दील हो गई। यह कहानी है तेज गेंदबाज रहे मुनाफ पटेल की। मुनाफ ने भले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया पर वह अपनी कामयाबियों के बूते फैंस को हमेशा याद आते रहेंगे। 

ऐसी रहा मुनाफ की जिंदगी का सफर...
मुनाफ गुजरात के भारुच जिले के इखार गांव से हैं। यहां पर गरीबी कोई नई बात नहीं है। बात उन दिनों की है, जब मुनाफ 35 रुपए की दैनिक मजदूरी पर एक टाइल फैक्टरी में काम किया करते थे। उनके पिता भी दूसरों के खेतों में मेहनत-मजदूरी करते थे। परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो अपने लिए कपड़े सिलवा सकें। साल में एक बार नए कपड़े सिलवाए जाते थे।
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अपने एक इंटरव्यू में मुनाफ ने उन दिनों को याद करते हुए कहा था ‘बहुत दुख होता था घर के हालातों को देखकर लेकिन सबकुछ सहने की आदत-सी हो गई थी। एक दिन मेरे एक दोस्त ने मेरे टीचर को बता दिया कि मैं स्कूल से जाने के बाद काम करता हूं। मैं बहुत डर गया था, लेकिन मेरे टीचर ने मेरे हालातों को समझते हुए कहा ‘तुम्हें खेलना चाहिए, इसमें तुम्हारा भविष्य है। उनकी इस बात के बाद मैं शाम को चप्पलों में क्रिकेट खेला करता था, जो बहुत मुश्किल था, क्योंकि मेरे पैरों में अक्सर चोट लग जाती थी।’

एक रोज क्रिकेट खेलते हुए मुनाफ की मुलाकात वहीं गांव में रहने वाले युसुफ भाई से हुई। उन्होंने मुनाफ को जूते दिलवाने के साथ बडौदा क्रिकेट क्लब में भर्ती करवा दिया। वहां पहुंचकर मुनाफ ने खूब मेहनत की और रणजी क्रिकेट मैच के लिए चुन लिए गए। इसके बाद एक दिन मुनाफ की मेहनत रंग लाई और उन्हें अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट के लिए चुन लिया गया। मुनाफ की गेंदबाजी की तारीफ शुरुआत में ही होने लगी थी। वही बल्लेबाजी में भी या तो वो जीरो पर आउट होते थे या ताबड़-तोड़ रन बटोर लेते थे।


2011 विश्व कप में भारतीय टीम की ओर से तीसरे नंबर पर सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे मुनाफ साल 2013 तक आइपीएल में खेलते नजर आए। इसके बाद मुनाफ की अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट में वापसी मुश्किल हो गई। बहरहाल, 35 रुपए कमाने वाले मुनाफ आज 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं।