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सिडनी : तीन घंटे की मैराथन पारी, सामने खतरनाक तेज आक्रमण, पल पल सावधानी बरतने की जरूरत और ऐसे में सब्र की नयी बानगी पेश करने वाले रविचंद्रन अश्विन और हनुमा विहारी इतनी बुरी तरह थक गए कि ड्रॉ का जश्न मनाने का भी ख्याल नहीं रहा। अश्विन की कमर में दर्द था और विहार हैमस्ट्रिंग की चोट से जूझ रहे थे जिससे रनों के बीच दौड़ पाना कठिन था। इसके बावजूद विकेट पर डटे रहने के उनके अडिग संकल्प को दर्द हरा नहीं सका।

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अश्विन ने एक इंटरव्यू में कहा कि उसे हैमिस्ट्रिंग चोट थी और मेरी कमर में दर्द था। हम एकाग्रता तोड़ना नहीं चाहते थे और खराब शॉट खेलने की तो कोई गुंजाइश नहीं थी। आखिरी चार पांच ओवर में हमें पता था कि हम करीब है और हम कुछ फिसलने लगे थे । इसके बाद स्ट्राइक रोटेट करके एक दूसरे के छोर से खेलने लगे। 

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उन्होंने कहा कि हमने आखिर के पलों में जश्न भी नहीं मनाया क्योंकि पता ही नहीं था कि क्या करें। हम एक विशेष गेंदबाज का सामना करने और विकेट बचाने में इतने मसरूफ थे। विहारी ने कहा कि ड्रॉ भी अच्छा नतीजा रहा। अगर मैं चोटिल नहीं होता और पुजारा कुछ समय और टिक जाते तो नतीजा कुछ और होता। हम शानदार जीत भी दर्ज कर सकते थे।

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अश्विन ने 128 गेंद में नाबाद 39 और विहारी ने 161 गेंद में नाबाद 23 रन बनाए। दोनों ने छठे विकेट के लिये 62 रन की अटूट साझेदारी करके मैच बचाया। अश्विन ने बताया कि पारी की शुरूआत में ही वह दर्द महसूस कर रहे थे। तीन चार गेंद के बाद ही मेरी कमर में दर्द उठा। मैने विहारी से कहा भी कि मुझे ऊंचा शॉट नहीं खेलना चाहिए था। 

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अश्विन ने कहा कि पैट कमिंस के स्पैल में तो हमे लगा कि हम तूफान का सामना कर रहे हैं। किस्मत ने हमारा साथ दिया और हम उससे बखूबी निकल आए। विहारी ने कहा कि अश्विन बड़े भाई की तरह पूरे समय उनसे बात करते रहे। जब भी उन्हें लगा कि मैं खराब शॉट खेल रहा हूं, उन्होंने मुझे फोकस करने की सलाह दी।