Sports

जालन्धर : इसे अफसरों में समन्वय का अभाव कहेंगे या बेहतर खिलाड़ी चुनते वक्त लगन की कमी। पहली बार करवाए जा रहे खेले इंडिया में अव्यवस्था का बड़ा मामला सामना आया है जोकि प्रबंधन की कलई खोलने के लिए काफी है। बात खेलो इंडिया की हो रही है जिसमें कुश्ती फ्री स्टाइल के 42 किलोग्राम वर्ग (लड़के) में सिर्फ 3 पहलवानों की ही एंट्री दर्ज हुई थी। इस सारी अव्यवस्था के पीछे दिल्ली के स्मोग का संयोग भी सामने आया है। दरअसल दो महीने पहले दिल्ली में फॉग छाया था। ऐसे में दिसंबर में होने वाले गेम्स को जनवरी में शिफ्ट कर दिया गया। तारीख बदली तो इसपर इंटरनैशनल रैसलिंग संघ के एक रूल्स ने बड़ा अड़ंगा डाल दिया। इसके तहत साल की शुरुआत से ही प्लेयर्स की कुल उम्र आंका जाना तय है। मतलब अगर एक प्लेयर ने मई में 17 साल का होना है तो नए रूल्स के मुताबिक वह जनवरी की एक तारीख से ही 17 साल का मान लिया जाएगा। इस कारण कई खिलाड़ी जो दिसंबर में गेम्स के लिए वैध थे। नया साल चढ़ते ही ओवरएज हो गए।

बहरहाल अंडर-42 किलोवर्ग कुश्ती की बात करें तो मास पार्टिसिपेशन और खेलों को बढ़ावा देने का नारा लेकर चल रही स्पोटर््स अथॉरिटी की यह चूक केवल इसी किलो ग्राम वर्ग तक सीमित नहीं रही बल्कि कई वर्ग में सिर्फ 8 से 12 खिलाड़ी ही देखने को मिले। खेलो इंडिया में भारत के सभी स्टेट और यूटी से प्लेयर्स के आने का स्पोटर््स अथॉरिटी ने दावा किया था। ऐसे में एक भार वर्ग में लगभग 10 प्लेयर का ही होना, कई सवाल खड़े कर रहा है।

इस बाबत खेलो इंडिया स्कूल गेम्स अथॉरिटी और रैसलिंग फैडरेशन ऑफ इंडिया एक-दूसरे पर इलजाम लगा रहे हैं। स्कूल गेम्स फैडरेशन ऑफ गेम्स के पूर्व प्रेसिडेंट सतपाल सिंह का कहना है कि यह बात की बात है कि इन गेम्स से खिलाडिय़ों को बढ़ावा मिलेगा या नहीं। पहले यह देखना होगा कि खिलाडिय़ों को उनका पूरा ईनाम मिला। कहीं पर फंडों का दुरुपयोग न हो जाए।

9 दिन तक चलने वाले इवेंट के लिए हर वर्ग में टॉप रहने वाले खिलाडिय़ों को केंद्र सरकार की तरफ से आठ सालों की हर साल पांच लाख रुपये मिलने हैं। खेलो इंडिया के सीईओ संदीप प्रधान ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया कि बीते दिनों रैसलिंग फैडरेशन ऑफ इंडिया ने गेम्स करवाई थीं। जिसके तहत प्लेयर्स की लंबी लिस्ट हमें मिली थीं। लेकिन खेलो इंडिया गेम्स शुरू होने से पहले इन खिलाडिय़ों का वेट बढ़ गया। ऐसे में सिर्फ तीन ही ऐसे खिलाड़ी बचे जो अंडर-42 के भार वर्ग में अ रहे थे।

बाकी कैटेगिरी में कम रेसलर्स होने पर उन्होंने कहा कि हमें एसजीएफआई और डब्ल्यूएफआई ने बताया था कि अभी बीते दिनों ही इंटरनैशनल फैडरेशन ने भार वर्ग की नई कैटेगिरी बनाई है जिसके कारण रेसलर्स चुनने में दिक्कत हुई। वहीं, डब्ल्यूएफआई का कहना है कि उन्होंने कुल 136 रेसलर्स के नाम भेजे थे। इनमें से 100 से ज्यादा खिलाड़ी नहीं खेल पाए। वहीं, खेलो इंडिया प्रबंधन का कहना है कि उन्हें लिस्ट बहुत लेट मिली थी जिसके कारण वह चुनिंदा खिलाडिय़ों को ही खेलने की अनुमति ने पाए। बता दें कि 31 जनवरी को गेम्स की शुरुआत के वक्त भी कई प्लेयर्स के नाम खेलो इंडिया प्रबंधन द्वारा जारी लिस्ट में नहीं थे। अंत तक केआईएसजी और डब्ल्यूएफआई प्लेयर्स को लेकर सशोपंज में फंसे रहे थे।

इससे पहले भारत में अंडर-17 स्कूल प्लेयर्स के लिए हो रहे इस सबसे बड़े इवेंट को दिसंबर से जनवरी में इसलिए शिफ्ट कर दिया गया था क्योंकि उस समय दिल्ली हाई पॉल्यूशन की मार के नीचे था। समय आगे बढऩे से प्लेयर्स की लिस्टें चेंज हो गईं थी। अब खेलो इंडिया अथॉरिटी का कहना है कि रैसलिंग फैडरेशन ने उन्हें नई लिस्ट उपलब्ध करवाने में देरी की। इस कारण कई ओवरएज प्लेयर बाहर कर दिए गए। यह सारा चक्कर इंटरनैशनल रैसलिंग के नए रूल्स के कारण पड़ा था। इस रूल्स के मुताबिक नया साल की शुरुआत ही प्लेयर की उम्र में बढ़ौतरी मानी जाएगी। ऐसे में कई बच्चे ओवरएज की कैटेगिरी में आ गए।