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नई दिल्ली: बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को कहा कि राहुल जौहरी की यौन उत्पीडऩ के खिलाफ आरोप पर जवाब देने की समयसीमा समाप्त हो गई है लेकिन बोर्ड के सीईओ के खिलाफ इन आरोपों की जांच स्वंतत्र पैनल द्वारा कराई जानी चाहिए और निष्पक्षता के हित में उनके इस्तीफे की मांग की।
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जौहरी ने इन आरोपों पर अपना जवाब सौंप दिया है या नहीं, इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। न तो प्रशासकों की समिति 'सीओए' प्रमुख विनोद राय और न ही 'बीसीसीआई' की आंतरिक शिकायत समिति सदस्य और वकील करीना कृपलानी ने पुष्टि की कि जौहरी ने अपना जवाब सौंप दिया है या फिर सात दिन की समय सीमा के खत्म होने के बाद इसके लिए और समय की मांग की है। यह पूछने पर कि समिति इस मुद्दे पर जौहरी से सवाल पूछेगी तो कृपलानी ने सिर्फ यह कहा, ‘‘यह कानूनी मसला है और मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा।’
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'बीसीसीआई' के कम से कम दो सीनियर अधिकारियों ने सीओए के इस मुद्दे को निपटाने के तरीके पर सवाल उठाए हैं और कहा कि जो प्रक्रिया अपनायी गयी वह पारदर्शी नहीं थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा, ‘मैं यह जानना चाहूंगा कि सीओए अपनी जांच में पारर्दिशता क्यों नहीं दिखा रहा है। ये गंभीर आरोप हैं और सीओए को एक स्वतंत्र संस्था को नियुक्त करके निष्पक्ष जांच करायी जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘हम सभी को और बीसीसीआई के अधिकारियों को सीओए की जांच पर भरोसा क्यों करना चाहिए ? जौहरी सीओए को रिपोर्ट कर रहे हैं और उचित यही होता कि उन्हें जांच से खुद को अलग कर देना चाहिए था।’ अधिकारी ने कहा, ‘लोढा समिति बीसीसीआई को जिन पारर्दिशता के आधारभूत सिद्धांतों का पालन करना चाहती थी, सीओए उन्हीं का उल्लघंन कर रहा है।’