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सोच्चिः डेनमार्क के स्टार खिलाड़ी क्रिस्टियन एरिकसन को दक्षिण अफ्रीका विश्वकप में पूरा समय बेंच पर बैठना पड़ा था लेकिन आठ वर्ष बाद रूस में चल रहे फीफा टूर्नामेंट में जब उनकी टीम पेरू के खिलाफ ग्रुप सी के पहले मैच में उतरेगी तो जीत का दारोमदार उनके कंधों पर रहेगा।  

दक्षिण अमेरिकी टीम 36 वर्ष के लंबे अर्से बाद विश्वकप फाइनल में वापसी कर रही है और एज हारेदे की टीम के सामने कड़ी चुनौती पेश करेगी। ग्रुप सी की अन्य मजबूत टीम फ्रांस है ऐसे में बाकी टीमों के लिये अपने अंकों को हासिल करने के लिये पूरा जोर लगाना अनिवार्य हो गया है।  
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एरिकसन ने ही दिलाया था विश्वकप का टिकट
ब्राजील-2014 विश्वकप के लिये क्वालीफाई नहीं कर सकी डेनमार्क को सबसे अधिक उम्मीदें टोटेनहैम हॉटस्पर के एरिकसन से हैं जिन्होंने आयरलैंड के खिलाफ प्लेऑफ में 5-1 की जीत में अपनी हैट्रिक से टीम को विश्वकप 2018 का टिकट दिलाया था।   
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दाग चुके हैं 1 गोल
डेनमार्क के लिये एरिकसन ने क्वालिफाइंग मैचों में सर्वाधिक 11 गोल किये थे। एरिकसन की अनुपस्थिति में डेनमार्क की टीम स्वीडन के खिलाफ मैच में फ्लाॅप रही थी जिसके बाद 26 वर्षीय खिलाड़ी की अहमियत और भी बढ़ गयी है। मैक्सिको के खिलाफ भी एरिकसन ने 2-0 की जीत में अहम भूमिका निभाई जो विश्वकप ओपनर से पहले टीम का अहम अभ्यास मैच था। डेनमार्क में सेंटर बैक साइमन जाएर और आंद्रियस क्रिस्टेनसेन भी अच्छा विकल्प हैं।   
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गुरेरो के पास खुद को साबित करने का माैका
दूसरी ओर पेरू के लिये कप्तान पाब्लो गुरेरो स्विस अदालत द्वारा डोपिंग बैन हटाये जाने के बाद विश्वकप में खेल रहे हैं और उनपर खुद को साबित करने की चुनौती होगी। छुपा रूस्तम पेरू ने अभ्यास मैच में स्वीडन के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया था और वह इसी लय को कायम रखना चाहेगा।