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जकार्ता : एशियाई खेलों की महाशक्ति चीन की इन खेलों में चली आ रही दादागिरी में इस बार सेंध लग गई और उसने पिछले 20 साल का अपना सबसे कमजोर प्रदर्शन किया। इसके बावजूद चीन पदक तालिका में लगातार 10वीं बार शीर्ष पर रहा। चीन ने 1982 के दिल्ली एशियाई खेलों से हर बार पदक तालिका में शीर्ष स्थान अपने कब्जे में रखा है और किसी अन्य देश को अपने आसपास भी फटकने नहीं दिया है। लेकिन इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबंग में हुए 18वें एशियाई खेलों में उसके वर्चस्व में सेंध लग गयी और पिछले 20 वर्षों में यह पहला मौका है जब वह अपनी स्वर्ण संख्या को 150 नहीं पहुंचा सका। इन खेलों में चीन ने 132 स्वर्ण, 92 रजत और 65 कांस्य सहित कुल 289 पदक जीते। जापान 75 स्वर्ण, 56 रजत और 74 कांस्य सहित कुल 205 पदक जीतकर दूसरे तथा कोरिया 49 स्वर्ण, 58 रजत और 70 कांस्य सहित कुल 177 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर रहा।

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चार साल पहले इंचियोन में चीन ने 151 स्वर्ण सहित कुल 345 पदक जीते थे। लेकिन इस बार न केवल उसके स्वर्ण पदकों बल्कि कुल पदकों की संख्या में भी गिरावट आ गई। पिछले 16 वर्षों में यह पहला मौका है जब चीन कुल पदकों में 300 का आंकड़ा पार नहीं कर सका है।

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आठ साल पहले चीन ग्वांग्झू की अपनी जमीन पर मात्र एक स्वर्ण पदक से 200 स्वर्ण पदकों का आंकड़ा छूने से चूक गया था। चीन ने तब 199 स्वर्ण सहित कुल 416 पदक जीते थे जो एशियाई खेलों में किसी एक देश का रिकॉर्ड बन गया। चीन ने 1982 के दिल्ली एशियाई खेलों में 61 स्वर्ण सहित 153 पदक जीत कर पहला स्थान हासिल किया था।

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जापान के भी 153 पदक रहे थे लेकिन उसके स्वर्ण पदक 57 थे। वर्ष 1986 के सोल एशियाई खेलों में चीन को मेजबान कोरिया से कड़ी टक्कर मिली लेकिन एक स्वर्ण के फासले से चीन का शीर्ष स्थान बना रहा। चीन ने 94 स्वर्ण सहित 222 पदकों के साथ पहला स्थान हासिल किया जबकि कोरिया 93 स्वर्ण सहित 224 पदकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

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चीन ने 1990 में बीजिंग में अपनी मेजबानी में तूफानी प्रदर्शन करते हुए 183 स्वर्ण सहित 341 पदक जीते और बाकी देशों को मीलों पीछे छोड़ दिया। 1994 में हिरोशिमा एशियाई खेलों में चीन ने मेजबान जापान को अपने नजदीक भी नहीं आने दिया। चीन 126 स्वर्ण सहित सहित 266 पदकों के साथ शीर्ष पर रहा जबकि जापान 64 स्वर्ण सहित 218 पदकों के साथ दूसरे नंबर पर रहा।

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1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में चीन के हिस्से में 129 स्वर्ण सहित 274 पदक आये जबकि कोरिया 65 स्वर्ण के साथ दूसरे स्थान पर रहा। 2002 के बुसान एशियाई खेलों में मेजबान कोरिया चीन को नजदीकी चुनौती नहीं दे सका। चीन ने 150 स्वर्ण सहित 308 पदक जीते जबकि कोरिया ने 96 स्वर्ण सहित 260 पदक जीते।  चीन ने 2006 के दोहा एशियाई खेलों में 165 स्वर्ण सहित 316 पदक जीतकर अपना दबदबा कायम रखा। कोरिया 58 स्वर्ण के साथ दूसरे स्थान पर रहा। 

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चीन ने ग्वांग्झू में 2010 के एशियाई खेलों में 199 स्वर्ण सहित 416 पदक जीतकर करिश्मा कर दिया।  कोरिया ने 2014 में इंचियोन में एशियाई खेलों की मेजबानी की लेकिन वह चीन को पकड़ नहीं पाया। चीन 151 स्वर्ण सहित 345 पदकों के साथ चोटी पर रहा जबकि कोरिया 79 स्वर्ण सहित 228 पदकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। इंडोनेशिया में भी चीन ने पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल किया लेकिन उसका दबदबा पहले जैसा नहीं रहा। 

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2020 में अगले ओलंपिक की मेजबानी कर रहे जापान ने दो साल बाद की अपनी तैयारियों का अभी से संकेत देते हुए चीन को इन खेलों में कड़ी चुनौती दी और 1994 में अपनी मेजबानी में हिरोशिमा में हुए खेलों के बाद पहली बार पदक तालिका में दूसरा स्थान हासिल किया।