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नई दिल्ली : सुशील कुमार जब अपने खेल के शीर्ष पर थे तो उन्होंने अकेले दम पर भारतीय कुश्ती को बुलंदियों पर पहुंचाया लेकिन अब जब पुलिस हत्या के मामले में जब उनकी तलाश कर रही है तो खेल की छवि को भी उतना ही नुकसान पहुंचा है जितना इस पहलवान की छवि को पहुंचा है। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) अब चिंतित हैं क्योंकि इससे खेल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। 

डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव विनोद तोमर ने कहा, ‘हां, मुझे यह कहना चाहिए कि इससे भारतीय कुश्ती की छवि को बेहद नुकसान पहुंचा है। लेकिन पहलवान मैट से बाहर क्या करते हैं इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है। हम मैट पर उनके प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं।' 

बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य पदक के साथ ओलंपिक में 56 साल के सूखे को खत्म करने वाले सुशील के खिलाफ पुलिस ने रविवार देर शाम ‘लुक आउट सर्कुलर' जारी कर दिया क्योंकि यह पहलवान झड़प में युवा पहलवान की मौत के बाद से गायब है। तोमर ने कहा, ‘इसने ही नहीं बल्कि फरवरी में हुई घटना ने भी भारतीय कुश्ती की छवि को दागदार किया था। खेल को प्रतिष्ठता हासिल करने के लिए काफी जूझना पड़ा था क्योंकि लंबे समय तक पहलवानों को गुंडों के समूह के रूप में जाना जाता था।' 

तोमर कोच सुखविंदर मोर से जुड़ी घटना का संदर्भ दे रहे थे जो हरियाणा के रोहतक जिले के जाट कॉलेज में साथी कोच मनोज मलिक सहित पांच लोगों की हत्या में शामिला था। सुखविंदर ने कथित तौर पर मलिक के साथ निजी दुश्मनी के कारण पांच लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी और बाद में दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर उसे नई दिल्ली से गिरफ्तार किया था।