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नई दिल्ली: आस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ऐसे गेंदबाज़ थे जिनका सामना करने से बढ़े-बढ़े बल्लेबाज़ डरा करते और उन्हें विश्व क्रिकेट में सबसे तेज गेंदबाजों में से एक के रूप में भी मान्यता मिली थी। उनकी गेंदों की रफ्तार इतनी होती थी कि वह पलक झपकते ही बैट्समेन की गिल्लियां उड़ा देते थे। 
 

ब्रेट ली के सफर पर एक नजर-
ली ने बालारंग पब्लिक स्कूल और ओक फ़्लैट्स हाई स्कूल में पढ़ाई की, जिसने बाद में उनके सम्मान में अपने क्रिकेट मैदान का नाम रखा। उनका उपनाम 'बिंग', न्यू साउथ वेल्स में इलेक्ट्रॉनिक सामान की एक श्रृंखला के नाम पर 'बिंग ली' का हवाला देती है।
 

तेज रफ्तार के बॉलर
ब्रेट ली का जन्म 8 नवम्बर 1976 न्यू साउथ वेल्स में हुआ था। वे तेज गेंदबाजी में एक प्रमुख गेंदबाज माने जाते रहे हैं। उनके नाम 160 किमी प्रतिघंटा की गति से गेंद फेंककर बोल्ड करने का रिकॉर्ड है. वे दुनिया की सबसे तेज गति से गेंद फेंकने के मामले में पाकिस्तान के शोएब अख्तर से 0.2 की गति से ही पीछे रहे।

भाई ने करवाया क्रिकेट से परिचय
आठ साल की उम्र में उनके भाई शेन ने क्रिकेट के खेल से ब्रेट का परिचय करवाया। उन्होंने क्रिकेट का अपना पहला औपचारिक खेल ओक फ़्लैट्स रैट्स के लिए खेला, जहां उन्होंने एक ओवर में बिना रन दिए 6 विकेट चटकाए और सभी विकेट बोल्ड थे।


करियर की शुरूआत
सोलह साल की उम्र में ली कैम्पबेलटाउन के लिए प्रथम श्रेणी का क्रिकेट खेलने लगे, जहां उन्हें न्यू साउथ वेल्स के खिलाफ काॅफी सफलता मिली थी। बाद में वे मॉसमैन में शामिल हुए, जहां उन्होंने शोएब अख़्तर के साथ नई गेंद साझा की। फिर ली ने ऑस्ट्रेलियाई अंडर 17 और 19 टीमों के लिए खेला और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट अकादमी में भाग लेने के लिए छात्रवृत्ति से भी सम्मानित किए गए थे। 1999 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर आई भारतीय टीम के खिलाफ़ टेस्ट में पदार्पण करके ऑस्ट्रेलिया के 383वें टेस्ट क्रिकेटर बने और पहले ही ओवर मे विकेट भी लिया था। उसके बाद 2000 मे उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला था।

चोट और उसके बाद वापसी
श्रीलंका के दौरे के समय 2004 में ली के टखने की चोट की हालत गंभीर हो गई और साथी तेज़ गेंदबाज माइकल कास्प्रोविच ने उनकी जगह ली। अठारह महीनों के लिए ली अपनी जगह वापस नहीं पा सके। ली 2005 एशेज़ श्रृंखला के लिए टेस्ट टीम में लौटे और सिर्फ गेंदबाज़ी ही नहीं बल्कि बल्लेबाजी से भी बढ़िया प्रदर्शन दिखाया था। करियर मे वह बल्ले से कई बार उपयोगी साबित हुए और माइक हसी के साथ मिल कर 2005-06 के बाद से एकदिवसीय मैचों में ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे अधिक 7वें विकेट की भागीदारी (123) का रिकॉर्ड उनके नाम है। ली ने भारत के खिलाफ करियर की शुरूआत की थी, तो आखिरी वनडे मैच भी इसी टीम के खिलाफ खेल कर फैन्स को गुडबाय कहा।