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नई दिल्ली : पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ियों ने सुझाव दिया है कि भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) को कोविड-19 महामारी के बीच राष्ट्रीय बैडमिंटन शिविर के सुरक्षित संचालन के लिए जैविक रूप से सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) तैयार करने की योजना पर विचार करने की जरूरत है। हैदराबाद की पुलेला गोपीचंद अकादमी में पिछले हफ्ते शिविर को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया था जब महिला युगल विशेषज्ञ एन सिक्की रेड्डी और फिजियोथेरेपिस्ट किरण सी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए थे।

यह परीक्षण हालांकि गलत साबित हुआ क्योंकि दूसरे परीक्षण में दोनों नेगेटिव आईं जिससे सोमवार से ट्रेनिंग बहाल करने की स्वीकृति दी गई। रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पीवी सिंधू के पिता पीवी रमन्ना इस घातक बीमारी के खतरे से चिंतित हैं और खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने और कड़े नियमों का सुझाव दिया। वर्ष 1986 में एशियाई खेलों का कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय वॉलीबॉल टीम के सदस्य रहे रमन्ना ने कहा, ‘टीका मिलने तक हमें और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। मामले बढ़ रहे हैं और ऐसे में हम शांति से नहीं रह सकते।' 

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि साइ की मानक संचालन प्रक्रिया के अलावा हम खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के समय के बीच में 30 मिनट का अंतर कर सकते हैं और प्रत्येक खिलाड़ी को एक अलग कोर्ट दे सकते हैं क्योंकि वहां आठ कोर्ट हैं।' रमन्ना ने कहा, ‘साथ ही हमारे पास शीर्ष स्तरीय विदेशी कोच हैं और ऐसे में एक खिलाड़ी के साथ एक कोच को रखा जा सकता है, इससे हम आपकी संपर्क को कम कर सकते हैं।' एक अगस्त को तेलंगाना सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद साइ ने ओलंपिके आठ दावेदारों के लिए शिविर को स्वीकृति दी थी लेकिन फिलहाल सिर्फ चार खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

भारत के पास दक्षिण कोरिया के पार्क तेइ सेंग और इंडोनेशिया के आगस ड्वी सांतोसो के रूप में एकल कोच जबकि इंडोनेशिया के तीन युगल कोच नामरीह सुरोतो, ड्वी क्रिस्टियावान और मिफताह हैं। दुनिया भर में क्रिकेट, गोल्फ और फुटबॉल जैसे खेलों की बहाली के लिए अधिकारियों ने जैविक रूप से सुरक्षित माहौल तैयार किया है जहां खिलाड़ियों, कोचों और अन्य स्टाफ एक विशेष स्थान पर रखा जाता है और उनके प्रवेश और बाहर जाने पर रोक होती है।

पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन अरविंद भट्ट ने कहा, ‘मुझे लगता है कि राष्ट्रीय शिविर के लिए जैविक रूप से सुरक्षित माहौल तैयार करना अच्छा विचार है।' उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयार कर रहे खिलाड़ी भारत के शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और उन्हें बंद जगह पर रखना समझदारी भरा होगा।' एशियाई चैंपियनशिप 1965 में स्वर्ण और राष्ट्रमंडल खेल 1966 में कांस्य पदक जीतने वाले दिनेश खन्ना ने भी इस विचार का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘यह सही होगा कि खिलाड़ियों को शिविर के दौरान पृथक रखा जाए क्योंकि अगर वे शिविर के बाहर के लोगों के संपर्क में रहेंगे तो विषाणु के संक्रमण का खतरा रहेगा।' खन्ना ने कहा, ‘यह संक्रमण से जुड़ी बीमारी है इसलिए हमेशा डर रहेगा।'