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नई दिल्ली: पहले विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव ने मौजूदा कप्तान विराट कोहली को ‘पहले की तुलना में अधिक परिपक्व कप्तान' बताते हुए कहा है कि टूर्नामेंट में उनकी बल्लेबाजी और कप्तानी अहम होगी। कैरेबियाई तिलिस्म को तोड़कर 1983 में पहली बार छिपे रूस्तम भारत को विश्व कप दिलाने वाले कपिल उस दौर के महानायक हैं जिन्हें देखकर मौजूदा टीम के कई खिलाड़ियों ने क्रिकेट खेलना शुरू किया । इंग्लैंड में बृहस्पतिवार से शुरू हो रहे विश्व कप से पहले आई एक नई किताब ‘वर्ल्ड कप वारियर्स' में चार विश्व कप (1979, 1983, 1987 और 1992) खेल चुके कपिल ने विराट की तारीफ करते हुए कहा, ‘इस कठिन अभियान पर भारत की कप्तानी के लिए उससे बेहतर कोई नहीं हो सकता।

वह चार साल पहले बहुत जज्बाती था लेकिन अब परिपक्व हो गया है। आप देख सकते हैं कि वह कैसे अपने साथी खिलाड़ियों से मशविरा लेता है, जो परिपक्वता की निशानी है।' उन्होंने आगे लिखा, ‘क्रिकेट की उसकी समझ भी बेहतर हुई है और अब वह बहुत बेहतर कप्तान है। विश्व कप में उसकी बल्लेबाजी और कप्तानी अहम होगी। निश्चित तौर पर टीम को भी उसकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा और उसके पास शानदार टीम है।'' पिछले तीन दशक से क्रिकेट कवर कर रहे अनुभवी खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली की लिखी इस किताब में इंग्लैंड में विराट कोहली की कप्तानी में विश्व कप खेलने गए भारत के 15 खिलाड़ियों के बारे में 1983 की विश्व कप विजेता टीम के उनके समकक्ष रहे खिलाड़ी ने अपने विचार व्यक्त किए हैं । विराट के बारे में कपिल ने, महेंद्र सिंह धोनी के बारे में 1983 विश्व कप विजेता टीम के विकेटकीपर किरण मोरे ने, शिखर धवन के बारे में सलामी बल्लेबाज क्रिस श्रीकांत ने अपनी बात कही है।

इनके अलावा 1983 टीम के सदस्यों मदन लाल, संदीप पाटिल, यशपाल शर्मा, कीर्ति आजाद, बलविंदर संधू ने भी ब्लूम्सबरी इंडिया द्वारा प्रकाशित किताब में अपनी राय रखी है। इसकी प्रस्तावना युवराज सिंह ने लिखी है जो 2011 विश्व कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे जब भारत ने 28 बरस बाद दूसरी बार क्रिकेट का यह शीर्ष खिताब अपने नाम किया था। मैं भी भारत के लिए खेलकर विश्व कप जीतना चाहता था।' उन्होंने आगे लिखा, ‘विश्व कप 2007 से जल्दी बाहर होने के बाद हमने 2011 में अपनी धरती पर खिताब जीतने के लिए कड़ी मेहनत की। हम सभी सचिन तेंदुलकर के लिए जीतना चाहते थे जिनका वह आखिरी विश्व कप था।' विश्व कप के दौरान ही युवराज को कैंसर के लक्षण दिखने लगे थे। उन्होंने लिखा, ‘मेरे लिए वह काफी कठिन समय था। टूर्नामेंट के दौरान ही मेरी हालत बिगड़ने लगी थी लेकिन हमें जीतना ही था। वानखेड़े स्टेडियम पर आखिरकार हमारा सपना सच हुआ और अब एक बार फिर विराट की कप्तानी में भारत के पास सुनहरा मौका है।'