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नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) प्रायोगिक तौर पर उम्र धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए मौजूदा ‘टीडब्ल्यूथ्री’ पद्धति के साथ एक सॉफ्टवेयर का उपयोग करेगा, जिसका उद्देश्य नतीजे को तुरंत प्राप्त करने के साथ लागत में 80 प्रतिशत तक की बचत करना है। आयु धोखाधड़ी के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाने वाला बीसीसीआई फिलहाल उम्र निर्धारण के लिए ‘टीडब्ल्यूथ्री’ पद्धति (बाएं हाथ और कलाई के एक्स-रे पर आधारित) का उपयोग करता है।

वर्तमान पद्धति में हर परीक्षण की लागत 2400 रुपए है और इसके परिणाम आने में 3 से 4 दिन का समय लगता है जबकि ‘बोनएक्सपर्ट सॉफ्टवेयर’ का प्रस्तावित उपयोग तात्कालिक परिणाम देगा और लागत केवल 288 रुपए होगी। पूरी प्रक्रिया की व्याख्या करते हुए बीसीसीआई के नोट में कहा गया कि आयु की पुष्टि के लिए बीसीसीआई पर्यवेक्षक की उपस्थिति में खिलाडिय़ों की कलाई का एक्स-रे कराता है और फिर राज्य क्रिकेट संघ एक्स-रे कॉपी को बीसीसीआई एवीपी (आयु सत्यापन विभाग) के पास भेजता है। 

उन्होंने कहा कि बीसीसीआई एवीपी  उसे अपने पैनल के दो स्वतंत्र रेडियोलॉजिस्ट को भेजता है। रेडियोलॉजिस्ट इसका आकलन कर अपनी रिपोर्ट बीसीसीआई को सौंपता है और इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगता है। 38 राज्य संघों के खिलाडिय़ों की निगरानी के लिए बीसीसीआई के पास चार रेडियोलॉजिस्ट है। इसके मुताबिक- बोर्ड प्रयोग पर राज्य संघों के साथ काम करेगा। बोर्ड हालांकि अपने डेटाबैंक में सीमित संख्या में एक्स-रे पर चल रहे परीक्षण डेटा से संतुष्ट हैं, फिर भी हम इससे पूरी तरह संतुष्ट होने के लिए सभी संघों में बड़ी संख्या में एक्स-रे (लगभग 3800) के साथ सॉफ्टवेयर की जांच करना चाहते है।


बीसीसीआई के अंतर्गत आने वाले टूर्नामेंट में कई बार आयु वर्ग के टूर्नामेंटों में कई बार धोखाधड़ी के मामले सामने आये है। जून 2019 में, जम्मू और कश्मीर के तेज गेंदबाज रसिख आलम को गलत जन्म प्रमाण पत्र जमा करने का दोषी पाए जाने के बाद दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। इससे पहले अंडर-19 विश्व कप स्टार मंजोत कालरा, कोलकाता नाइट राइडर्स और दिल्ली के बल्लेबाज अंकित बावने उन क्रिकेटरों में शामिल हैं जिन्हें अपनी उम्र छुपाने का दोषी पाया गया है। 

बीसीसीआई ने अगस्त 2020 में अपने पंजीकृत खिलाडिय़ों के लिए सही आयु बताने की एक स्वैच्छिक योजना शुरू की थी। बीसीसीआई में उम्र को लेकर धोखाधड़ी करने वाले क्रिकेटरों को दो साल के लिए प्रतिबंधित करने का प्रावधान है।