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नई दिल्ली: टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली साउथ अफ़्रीका में टेस्ट सीरीज़ हारने के बाद अब आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। बीसीसीआई के क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी सदस्य रह चुके इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कोहली की कप्तानी से जुड़े कई मुद्दो को उठाकर उन पर ज़ोरदार हमला किया है। गुहा ने एक अंग्रेज़ी अखबार में प्रकाशित लेख में बीसीसीआई में कोहली के बढ़ते क़द पर सवाल उठाए हैं। गुहा ने कहा कि बोर्ड के अधिकारी विराट कोहली को जितना पूजते हैं, उतना तो केंद्र सरकार में कैबिनेट के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं पूजते होंगे।
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विराट के सामने झुकी BCCI
लेख में इतिहासकार ने लिखा है, "मैंने अपने कार्यकाल के दौरान बीसीसीआई में कोहली को दबदबे को देखा है। बोर्ड के अधिकारी उन मुद्दों को भी कोहली के सामने रखते हैं जो उनके दायरे में भी नहीं आते।" लेख में आगे लिखा गया, "फ्यूचर टूर प्रोग्राम (एफटीपी) तैयार करने पर बातचीत होनी थी, तो बोर्ड के कानूनी सलाहकार ने कहा कि विराट की सहमति हर हाल में ली जानी चाहिए। इससे पहले जब बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रबंधन का मामला हमारे समक्ष आया, तो बोर्ड के सीईओ ने सुझाव देते हुएकि विराट कोहली के शब्द पहले और आखिरी होने चाहिए कि नेशनल अकादमी कैसे चलाई जानी चाहिए।"

विराट के रुतबे के आगे सभी सरेंडर
उन्होंने विराट पर तंज कसते हुए कहा कि मैदान और मैदान के बाहर सिर्फ और सिर्फ वहीं दिखते हैं।उन्होंने लिखा, "अनिल कुंबले को हटाकर रवि शास्त्री जैसे साधारण क्रिकेटर को सिर्फ इसलिए टीम इंडिया का कोच बनाया गया क्योंकि इन लोगों ने विराट कोहली के रुतबे के आगे समर्पण कर दिया। सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, विनोद राय और लक्ष्मण ने टॉम मूडी (और अन्य दावेदार) की अनदेखी कर रवि शास्त्री को चुना क्योंकि ये दिग्गज विराट कोहली से घबरा गए और इन्होंने संस्था को व्यक्ति विशेष के अधीन कर दिया।"