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नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेटर भले ही आज करोड़ों में खेलते हैं लेकिन जब टीम इंडिया ने पहली बार 1983 में विश्वकप जीता था तो उन्हें प्रोत्साहन राशि देने के लिए बीसीसीआई के पास पैसे नहीं थे। भारत ने 25 जून 1983 को शक्तिशाली वेस्ट इंडीज को ऐतिहासिक लॉड्र्स मैदान में हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। अब इसको 37 साल हो चुके हैं।  

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इसी बीच 1983 के बीसीसीआई अध्यक्ष एन के पी साल्वे ने एक दिलचस्प खुलासा किया है। उन्होंने कहा- विश्व कप जीतने के बाद टीम के सीनियर सदस्य सुनील गावस्कर उनके पास आए। बोले- हमारी पुरस्कार राशि कहां है। बकौल साल्वे उन दिनों बोर्ड के पास बिल्कुल पैसा नहीं हुआ करता था। मैंने कहा- टीम को दो लाख रुपए देने का प्रयास करेंगे। इस पर गावस्कर का जवाब आया- सर हम टिप नहीं मांग रहे हैं।

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साल्वे बोले- मैंने फिर राशि तीन लाख कर दी। गावस्कर बोले- दो और तीन में क्या फर्क है, अच्छा होगा कि आप ये भी न दें। मैं फिर पांच और सात लाख तक पहुंच गया, लेकिन खिलाड़ी तैयार नहीं हुए। तब आईएस बिंद्रा ने सुझाव दिया कि दिल्ली में एक कार्यक्रम कराकर उसकी कमाई से एक-एक लाख रुपए प्रत्येक खिलाड़ी को दिए जाएं, लेकिन जल्द ही हमें एहसास हो गया कि इस कार्यक्रम से कुछ मिलने वाला नहीं है।

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तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष ने कहा- तब बिंद्रा का अगला सुझाव आया कि लता मंगेशकर कंसर्ट कराकर धन जुटाया जाए। मैं लता जी के पास गया और उन्हें मना लिया। कंसर्ट से 20 लाख रुपए जुटे। जिससे प्रत्येक भारतीय प्लेयर को 1-1 लाख रुपए दिए गए। लता जी ने इस कंसर्ट के लिए पैसे नहीं लिए थे।

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बकौल सल्वे- उस वक्त टीम इंडिया बड़ी जोशीली थी। अगर मैं पुरुसकार राशि न बढ़ाता तो यह खिलाड़ी तो मेरी पिटाई ही कर देते। ये आज बड़े संभ्रात दिखाई दे रहे हैं, लेकिन उस समय ये सभी युवा थे जबकि मैं तब भी बूढ़ा था और अब भी बूढ़ा हूं।