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नई दिल्ली: बीसीसीआई ने रणजी ट्राॅफी (Ranji Trophy) नाकआउट मैचों में सीमित डीआरएस के इस्तेमाल का फैसला किया है ताकि पिछले सत्रों की तरह अंपायरिंग की गलतियों की वजह से टूर्नामेंट चर्चा में नहीं रहे। घरेलू टूर्नामेंट में इस्तेमाल होने वाले डीआरएस में हाक आई और अल्ट्रा एज नहीं होगा जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इसका हिस्सा है। 

रणजी ट्रॉफी में पिछले साल हुए विवाद 

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पिछले सत्र में रणजी ट्राॅफी के दौरान कई विवादित फैसले सामने आये जिसमें कर्नाटक और सौराष्ट्र के बीच बेंगलुरू में खेला गया सेमीफाइनल शामिल था। बीसीसीआई के क्रिकेट महाप्रबंधक सबा करीब ने कहा, ‘पिछले साल कुछ नाकआउट मैच अंपायरों की गलतियों के कारण चर्चा में थे।' उन्होंने कहा, ‘हम इससे बचना चाहते थे लिहाजा नाकआउट मैचों में तकनीक का इस्तेमाल होगा। सीमित आधार पर डीआरएस का प्रयोग किया जाएगा ताकि अंपायरों को सही फैसले लेने में मदद मिल सके।' 

रणजी ट्रॉफी में डी आर एस (DRS)

रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) को दोनों पारियों में जीवनदान मिल गया था। उन्होंने शतक जमाकर मैच का नक्शा बदल दिया और कर्नाटक फाइनल में पहुंच गया। मई में मुंबई में कप्तानों और कोचों ने एक बैठक के दौरान रणजी ट्राॅफी में डीआरएस (DRS) पर निर्णय लिया |