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नई दिल्ली : भारत के शीर्ष पहलवान बजरंग पूनिया ने पोलैंड में होने वाली आगामी रैंकिंग सीरीज प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेने की जानकारी देते हुए बताया कि तोक्यो ओलंपिक से पहले टूर्नामेंट से ज्यादा उन्हें मजबूत प्रतिद्वंद्वी साथियों के साथ मैट-अभ्यास की सख्त जरूरत है क्योंकि 65 किग्रा वर्ग में शीर्ष स्तर के कई पहलवान शामिल है। बजरंग ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने तोक्यो खेलों के लिए अभ्यास को बुरी तरह से प्रभावित किया है क्योंकि वह इसके लिए ना तो विदेश जा पाये ना ही किसी अन्य पहलवान को भारत बुला सके।

ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के अन्य पहलवान पोलैंड जाएंगे जबकि 27 साल के बजरंग अपने कोच जॉर्जिया के शैको बेंटिन्डिस के साथ अभ्यास के लिए रूस जाऐंगे। वारसॉ में आठ से 13 जून तक होने वाली यह प्रतियोगिता ओलंपिक से पहले रैंकिंग सीरीज की आखिरी टूर्नामेंट है। भारतीय टीम टूर्नामेंट के बाद अभ्यास शिविर के लिए वारसॉ मे ही रूकेगी। भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) की ओर से आयोजित बातचीत में बजरंग ने कहा कि ओलिंपिक से पहले मुझे और अभ्यास की जरूरत है। पिछले 18 महीने कठिन रहे हैं। देश से बाहर प्रतियोगिताएं और अभ्यास शिविर में भाग लेने का मौका नहीं मिला। अभ्यास के लिए साथी ढूंढना भी बहुत बड़ी चुनौती बन गई। फिट रहना भी एक चुनौती है।

उन्होंने कहा कि मेरे भार वर्ग में 10-12 पहलवान हैं और उनमें से कोई भी किसी को भी हराने में सक्षम है। ऐसा कोई पहलवान नहीं है जो 65 किग्रा में जीत का प्रबल दावेदार हो। मैं किसी एक प्रतिद्वंद्वी के लिए तैयारी नहीं कर सकता। अगर ड्रॉ में मुझे उसके खिलाफ मौका नहीं मिला तो क्या होगा।। इन परिस्थितियों के कारण मुझे अपने अभ्यास पर ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए मैंने इस रूस दौरे की योजना बनाई है। मैं अपने वीजा का इंतजार कर रहा हूं। रूस में विश्व और ओलंपिक चैंपियन सहित कई मजबूत पहलवान होंगे।

बजरंग की कमजोरी मुकाबले की शुरूआत में अंक गंवाना और पैर से कमजोर (लेग डिफेंस) बचाव है । उन्हें इन दोनों में सुधार करना होगा। वह ताकत और सहनशक्ति के मामले में दूसरे पहलवानों से मजबूत है। उन्होंने कहा कि मेरे कोच कहते हैं कि मैं उस प्रक्रिया में बहुत अधिक ताकत बर्बाद कर देता हूं। मेरा प्रशिक्षण मेरे शुरुआती दिनों से ही ऐसा रहा है कि मेरा खेल ताकत पर आधारित हो गया है। लेकिन फिर भी मैंने अपने पैर से बचाव (लेग डिफेंस) पर काम किया है और यह बेहतर हुआ है।'' बजरंग ने कहा कि वह चाहते है कि तोक्यो खेलों का आयोजन अपने तय समय पर हो। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के कारण इन खेलों को रद्द करने की मांग की जा रही है।

बजरंग ने कहा कि एक एथलीट के रूप में मैं चाहता हूं कि ओलंपिक का आयोजन हो। कोई भी खिलाड़ी यह नहीं कहेगा कि ओलंपिक खेलों को रद्द कर दिया जाए। तोक्यो ओलंपिक में भारत के आठ पहलवान हिस्सा लेंगे और बजरंग ने विश्वास व्यक्त कि देश को कम से कम चार पदक मिलेंगे। उन्होंने कहा कि हम हमेशा ओलंपिक में पदक की बात करते है लेकिन हमें खिलाड़ियों को बचपन से समर्थन करने की जरूरत है। अगर खिलाड़ियों को कम उम्र से सुविधा और समर्थन मिले तो भारत भी ओलंपिक में अमेरिका की तरह मजबूत बन सकता है।