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जसमीत सिंह / स्पोर्ट्स डेस्क
यह क्रिकेट जगत का सबसे यादगार वाक्या है। कोका कोला चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल जिम्मबाब्वे के खिलाफ खेला जा रहा है। जिम्मबाब्वे के 197 रन का लक्ष्य करने उतरी भारतीय टीम को सचिन ने आक्रमक शुरुआत दी थी। यह वही मैच था जिसमें सचिन ने हैनरी ओलंगा की खूब पिटाई की थी। यह मैच सचिन के तेजतर्रार शतक के अलावा सौरव गांगुली यानी दादा के उन शानदार छक्कों के लिए भी जाना जाता है जिसमें हर छक्के पर बॉल स्टेडियम से बाहर गई थी। गांगुली से यह तीनों लंबे छक्के खाने वाले ग्रांट फ्लावर ही थे। आज ग्रांट फ्लावर का 47वां बर्थडे है। इन्हें इंडियन फैंस इसलिए भी याद कर सकता है क्योंकि इन्होंने अपने करियर की जितनी बढिय़ा पारियां अपने बड़े भाई एंडी फ्लावर के साथ मिलकर भारत के खिलाफ खेलीं, उतनी और किसी देश के खिलाफ नहीं खेल पाए। अगर फ्लावर का कोई भारत के खिलाफ कमजोर प्रदर्शन आंका जाए तो सिर्फ यह भी वाक्या मिलेगा। बाकी हर मौकों पर इन्होंने अपनी टीम का साथ दिया। कई महान पारियां खेलीं।

— jasmeet (@jasmeet047) December 20, 2017


जिम्मबाब्वे के साथ इन्होंने टैस्ट क्रिकेट में किया पर्दापण 
जिम्मबाब्वे को जब 1992 में भारत के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पर्दापण का अवसर मिला था तब ग्रांट फ्लावर भी जिम्मबाब्वे टीम के सदस्य थे। भारत की तरफ से रवि शास्त्री, संजय माजरेकर, सचिन तेंदुलकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन, कपिल देव, कुंबले, श्रीनाथ, प्रभाकर और किरण मौरे जैसे सितारे खेल रहे थे। ऐसे में पर्दापण करनी वाली जिम्मबाब्वे टीम पर टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी कर अच्छी शुरुआत देने का दबाव था। भारत की ओर से कपिल देव और मनोज प्रभाकर ने बॉलिंग की शुरुआत की। जिम्मबाब्वे की तरफ से ओपन किया के अरनोट और ग्रांट फ्लावर ने। दोनों ने भारतीय तेज गेंदबाजों की स्विंग होती गेंदों के आगे सधी पारी खेली। अरनोट जहां 176 गेंदों में 40 रन बनाकर आउट हुए तो वहीं ग्रांट फ्लावर ने आगामी बल्लेबाजों का खूब साथ दिया। अपनी 297 गेंदों में 82 रन की पारी के दौरान उन्होंने विश्व क्रिकेट में जिम्मबाब्वे टीम का ढंका बजा दिया। इस मैच की पहली पारी में जिम्मबाब्वे ने 456 रन बनाए थे। जवाब में उतरी भारतीय टीम केवल 307 रन ही बना पाई। केवल संजय माजरेकर ही डेब्यू कर रही जिम्मबाब्वे टीम के आगे टिके। उन्होंने 104 रन बनाए। लेकिन 104 रन बनाने के लिए भी उन्होंने 422 गेंदें खेलीं। जोकि क्रिकेट जगत के सबसे धीमे शतकों में से एक है। कपिल देव ने भी 60 रन बनाए। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर इस मैच में 0 तो अजहरुद्दीन केवल नौ पर आउट हो गए थे। जिम्मबाब्वे टीम फिर बल्लेबाजी करने उतरी। बल्लेबाजों ने सधी पारियां खेलीं। पहला टेस्ट ड्रा करवा लिया। 

हारे मैच में भी ऐलाने गए मैन ऑफ द मैच
बात 1992 की है। गुवाहाटी में भारत और जिम्माबब्वे दूसरे वनडे में आमने-सामने थे। बारिश के कारण मैच 28 ओवर का कर दिया गया। जिम्माबब्वे पहले खेलने उतरी। ग्रांट 65 गेंदों पर 57 रन बनाकर टीम को 149 के स्कोर तक ले गए। जवाब में उतरी भारतीय टीम ने चाहे आखिरी ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया लेकिन ग्रांट फ्लावर को उनकी सधी हुई पारी के लिए मैच ऑफ द मैच दिया गया। तब यह क्रिकेट जगत के सबसे हैरानी से भरे डिसीजन में से एक था। क्योंकि ग्रांट के अलावा मनोज प्रभाकर ने 51 रन बनाकर एक विकेट भी लिया था। लेकिन मैच रेफरी ने बाद में कहा- जिस तरह ग्रांट ने अपनी पारी से जिम्माबब्वे को मजबूती दी वह मैन ऑफ द मैच के हकदार थे।