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खेल डैस्क : एशिया कप 2022 के पहले ही मैच में बड़ा उलटफेर करते हुए अफगानिस्तान ने श्रीलंका को 9 विकेट से हरा दिया। दुबई के मैदान पर खेले गए मुकाबले में अफगानिस्तान के कप्तान मोहम्मद नबी ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी थी। श्रीलंका ने पहले खेलते हुए केवल 105 रन बनाए। भानुका राजपक्षे 38 तो चमिका करुणारत्ने ने 31 रन बनाए। अफगानिस्तान के सामने 106 रनों का लक्ष्य था जिसे गुरबाज और जजई के कारण अफगानिस्तान ने महज 10.1 ओवर में 8 विकेट से जीत लिया। 

श्रीलंका (पहली पारी)

  • श्रीलंकाई टीम की शुरूआत बेहद खराब रही। फजलहक फारूखी ने पहली ही ओवर में कुसल मेंडिस फिर बाद में चैरिथ असलांका को आऊट कर दिया। दूसरे ओवर में नवीन उल हक ने निसांका को आऊट कर श्रीलंका के 5 रन पर ही 3 विकेट गिरा दिए। इसके बाद दानुष्का गुणाथिलके और भानुका राजपक्षे ने पारी को संभाला। गुणाथिलके 17 रन बनाकर मुजीब की गेंद पर आऊट हो गए। क्रीज पर आए हसरंगा भी कुछ खास नहीं कर पाए और 2 रन बनाकर चलते बने।
  • कप्तान दासुन शनाका से काफी उम्मीदें थीं। क्योंकि वह श्रीलंका की ओर से इस साल सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में से एक थे। लेकिन अफगानिस्तान के कप्तान मोहम्मद नबी ने उन्हें पहली ही गेंद पर पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। प्रैशर बढ़ने के कारण भानुका राजपक्षे 38 रन पर रन आऊट हो गए। इससे अगली ही गेंद पर थिकशाना भी रन आऊट हो गए। मथिशा ने पांच रन बनाए। 

अफगानिस्तान (दूसरी पारी) 

  • लक्ष्य का पीछा करने उतरी अफगानिस्तान ने तूफानी शुरूआत की। रहमानउल्लाह गुरबाज और जजई ने पावरप्ले का फायदा उठाते हुए बड़े शॉट लगाए। दोनों ने पहले पावरप्ले में ही स्कोर 83 रन पर ला खड़ा किया। हसरंगा ने पहली ही गेंद पर गुरबाज को बोल्ड कर दिया। गुरबाज ने 18 गेंदों में तीन चौके और  चार छक्कों की मदद से 40 रन बनाए। वहीं, जजई अंत तक 37  रन बनाकर नाबाद रहे।

 


ऐसे शुरू हुआ था एशिया कप 
1983 विश्व कप फाइनल में जब भारत और विंडीज की टीमें आमने-सामने हुई तो बीसीसीआई के उस वक्त के प्रेसिडैंट एन.के.पी. साल्वे ने स्टेडियम में मैच देखने की अच्छा व्यक्त की। लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। साल्वे भारत आए और अपने इरादे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के साथ साझा किए। तब पी.सी.बी. के हैड नूर खान थे। उनके साथ श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के हैड गामिनी दिसानायके भी जुड़ गए। 1983 में ही 19 सितंबर के दिन एशियन क्रिकेट कॉन्फ्रैंस (अब एशियन क्रिकेट कौंसल) बनाई गई। इसमें भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका फुल मैंबर थे। बाद में बंंगलादेश, मलेशिया और सिंगापुर को भी जोड़ लिया गया। 1984 में पहली बार एश्यिा कप करवाया गया।