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नई दिल्ली : भारतीय गोल्फर एस. चिक्कारंगप्पा ने कहा कि टोक्यो ओलिम्पिक में अनिर्बान लाहिड़ी का कैडी (प्रतियोगिता के दौरान गोल्फरों का सहयोगी) होने का अनुभव पेरिस ओलिम्पिक (2024) के उनके सपने को पूरा करने में मदद करेगा। कोविड-19 महामारी के कारण टोक्यो के लिए क्वालीफाई करने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका। इस 27 साल के खिलाड़ी को हालांकि लाहिड़ी ने अपना कैडी बनने का प्रस्ताव दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

चिक्कारंगप्पा ने कहा कि यह दोनों के लिए फायदे की स्थिति है। जब अनिर्बान ने मुझे अपना कैडी बनने का प्रस्ताव दिया, तो मैंने तुरंत हामी भर दी। लाहिड़ी अपना दूसरा ओलिम्पिक खेलेंगे, जबकि अर्जेंटीना के एमिलियानो ग्रिलो के हटने के बाद एक अन्य भारतीय उदयन माने ने पहली बार इन खेलों का टिकट पक्का किया। चिक्कारंगप्पा ने कहा कि मैं वास्तव में खुश हूं कि अनिर्बान ने मुझे यह मौका दिया। मुझे व्यक्तिगत रूप से एक ओलंपिक को करीब से देखने को मिलेगा। युवा पीढ़ी को बहुत कुछ सीखना होता है।

उन्होंने कहा- हां, मैं एक खिलाड़ी के तौर पर वहां नहीं रहूंगा लेकिन यह अनुभव कुछ अलग होगा। यह अनुभव (अनिर्बान का कैडी बनने का) मुझे 2024 के ओलंपिक खेलों की तैयारी में मदद करेगा। इससे मुझे आगे बढऩे में मदद मिलेगी। चिक्कारंगप्पा कोविड-19 की दूसरी लहर से पहले भारतीय गोल्फरों में दूसरे शीर्ष खिलाड़ी थे लेकिन कुछ टूर्नामेंटों में भाग नहीं लेने के कारण उनकी रैंकिंग नीचे खिसक गई।

बेंगलुरु-मैसुरु राजमार्ग पर भारत के सबसे प्रसिद्ध गोल्फ कोर्स में से एक ईगलटन के पास एक गांव के रहने वाले, चिक्कारंगप्पा पेशेवर गोल्फर बनने से पहले कैडी ही थे। लाहिड़ी के साथ अपने जुड़ाव पर उन्होंने कहा कि हम दोनों दोस्त से ज्यादा हैं, हम भाइयों की तरह हैं। हम एक दूसरे को 18 साल से जानते हैं। हम एक साथ काम करेंगे और पदक के साथ वापस आने की पूरी कोशिश करेंगे।