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जकार्ताः अमित पांघल (49 किग्रा) मौजूदा ओलंपिक और एशियाई चैंपियन हसनब्वाय दुसमातोव को हराकर एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले ओवरआल आठवें भारतीय मुक्केबाज बने। अमित ने जीत के बाद कहा, ‘‘मैं इससे पहले उससे हार गया था आैर अब मैने उसे हराकर बदला चुकता कर दिया। कोच सैंटियागो (नीवा) और अन्य कोच ने मुझे अच्छी तरह से तैयार किया था। सेमीफाइनल में मैं पहले राउंड में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया था लेकिन यहां मैंने कोई गलती नहीं की।’’          

उन्होंने कहा, ‘‘कोच ने मुझसे जवाबी हमले करने को कहा। इंग्लैंड में अभ्यास और भारत में शिविर लगाने से मदद मिली। मैंने इन दोनों स्थानों पर बाएं हाथ के मुक्केबाजों के साथ अभ्यास किया था। मैं जानता था कि अपर कट से कैसे फायदे में रहना है।’’ अमित के करियर की यह सबसे बड़ी जीत है। उन्होंने पिछले साल एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले इस मुक्केबाज ने राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था।           

इससे पहले उन्होंने इंडिया ओपन और बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रैन्दजा मेमोरियल में स्वर्ण पदक जीते थे।  भारत की तरफ से एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले आखिरी मुक्केबाज विजेंदर सिंह और विकास कृष्णन थे जिन्होंने ग्वांग्जू एशियाई खेल 2010 में सोने के तमगे हासिल किये थे। विकास (75 किग्रा) को इस बार कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। चार साल पहले 2014 के खेलों में एम सी मेरीकोम स्वर्ण पदक जीतने वाली अकेली मुक्केबाज थी।  एशियाई खेलों में सबसे पहले स्वर्ण पदक जीतने वाले मुक्केबाज पदम बहादुर माल थे जिन्होंने 1962 में यह कारनामा किया था। हवा सिंह एकमात्र भारतीय मुक्केबाज हैं जिन्होंने लगातार दो एशियाई खेलों 1966 और 1970 में स्वर्ण पदक जीते थे।