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मास्कोः अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा ने यहां फीफा सदस्य देशों के मतदान में मोरक्को को आसानी से हराकर संयुक्त रूप से 2026 विश्व कप मेजबानी के अधिकार हासिल किए। उत्तर अमेरिकी देशों को 203 में से 134 मत मिले जबकि मोरक्को ने मास्को में 2018 विश्व कप की पूर्व संध्या पर आयोजित फीफा कांग्रेस में मतदान में सिर्फ 65 मत हासिल किए। इससे फुटबाॅल का महासमर 1994 के बाद पहली बार उत्तर अमेरिकी महाद्वीप में वापसी करेगा, जब अमेरिका ने इसकी मेजबानी की थी। उत्तर अमेरिकी देशों के लिए बोली लगाने वाले प्रमुख कार्लोस कोर्डेरो ने कहा कि उनकी टीम ‘‘दावेदारी पर भरोसा जताने के लिए फीफा परिवार के सदस्यों की शुक्रगुजार है।’’

उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट के पास फुटबाॅल को ‘‘आने वाली पीढिय़ों के लिए नए पथ पर’’ ले जाने का मौका होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘‘अमेरिका को कनाडा और मेक्सिको के साथ मिलकर विश्व कप की मेजबानी मिली है। शुभकामनाएं - कड़ी मेहनत का परिणाम।’’ 
 


उत्तरी अमेरिका की इस बोली पर उस समय चिंताएं बढ़ गई थी जब ट्रंप ने धमकी भरे लहजे में कहा था कि जो देश उनका समर्थन नहीं करेंगे, अमेरिका दूसरे मुद्दों पर उनका साथ नहीं देगा। समझा जा रहा कि फीफा के अध्यक्ष जियानी इनफेनटिनो पर्दे के पीछे से उत्तरी अमेरिकी देशों के पक्ष में थे क्योंकि इन देशों ने 2016 में उन्हें अध्यक्ष बनाने में मदद की थी। इस संयुक्त मेजबानी में उत्तरी अमेरिकी देशों ने बोली में आधुनिक और स्थापित स्टेडियम तथा परिवहन के अच्छे लिंक मुहैया कराने की बात की। साथ ही मेक्सिको में फुटबाॅल को लेकर काफी उत्साह भी है।

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वहीं मोरक्को ने अफ्रीका में ‘यूरोपीय’ विश्व कप का वादा किया और उत्तर अफ्रीकी देश की यूरोप से नजदीकी होने की बात की। लेकिन जब तुलना की गई तो मोरक्को की बोली में ज्यादातर बातें कागजों पर ही दिखी क्योंकि कई स्टेडियम और सड़कों के निर्माण कराना पड़ता और आलोचकों ने सवाल उठाए कि वह 2026 टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए कैसे तैयार होगा क्योंकि इस प्रतियोगिता को अब 48 टीमों का कर दिया जाएगा। फीफा के इंस्पेक्टरों ने अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको की बोली को रेटिंग में पांच में से चार अंक से प्रबल दावेदार माना जबकि इनकी तुलना में मोरक्को की रेटिंग पांच में से महज 2.7 रही।