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नई दिल्ली : तोक्यो ओलंपिक में निशानेबाजों के लचर प्रदर्शन के बाद तीन भाग में समीक्षा की जाएगी और भारतीय निशानेबाजी महासंघ (एनआएआई) के अधिकारियों के प्रदर्शन का भी विश्लेषण होगा। भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) से जुड़े एक सूत्र ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि तीन भाग की समीक्षा पहले ही शुरू हो चुकी है। रियो ओलंपिक से खाली हाथ लौटने के बाद भारतीय निशानेबाज तोक्यो ओलंपिक से भी बिना पदक के लौटे।

सूत्र ने गुरुवार को बताया, ‘समीक्षा पहले ही शुरू हो चुकी है और यह तीन हिस्सों में होगी। सबसे पहले खिलाड़ी, फिर कोच और सहयोगी स्टाफ और फिर राष्ट्रीय महासंघ के अधिकारियों की समीक्षा होगी।'' यह पूछने पर कि क्या एनआरएआई अध्यक्ष रनिंदर सिंह का भी विश्लेषण होगा, सूत्र ने इसका सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि महासंघ के प्रमुख इसके लिए तैयार हैं और तोक्यो में खेलों के दौरान भी उन्होंने इसी तरह की बात कही थी। सूत्र ने कहा, ‘कोई सही ख्याति वाला व्यक्ति महासंघ के अधिकारियों के प्रदर्शन की समीक्षा करेगा। वह इन चीजों को देखेगा कि जहां तक ओलंपिक की तैयारी का सवाल है तो महासंघ ने कहां कमी छोड़ी।' 

उन्होंने कहा, ‘इस समीक्षा में महासंघ को अलग नहीं रखा जाएगा।' महासंघ के शीर्ष पदाधिकारियों के विश्लेषण से पहले एनआरएआई निशानेबाजों, कोचों और सहयोगी स्टाफ की समीक्षा करा रहा है। तोक्यो में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय महासंघ की नजरें ढांचे में बड़े बदलावों पर है। एक अधिकारी ने कहा, ‘निश्चित तौर पर आप पूरे ढांचे में बड़े बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं और यह सिर्फ कोचों तक सीमित नहीं होगा। सभी का विस्तार से आकलन होगा क्योंकि तोक्यो में विफलता के पीछे के कारण ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है।' 

उन्होंने कहा, ‘निशानेबाजों, कोचों और सहयोगी स्टाफ की समीक्षा एनआरएआई अध्यक्ष, सचिव (राजीव भाटिया) और महासचिव (डीवी सीताराम राव) करेंगे।' टोक्यो अभियान के दौरान विवादों की कहानियां भी सामने आई जब युवा स्टार पिस्टल निशानेबाज मनु भाकर और उनके पूर्व कोच जसपाल राणा के बीच मतभेद की खबरों ने सुर्खियां बटोरी। अधिकारी ने कहा, ‘खेलों से पहले और इसके दौरान जिस तरह चीजें हुईं उससे महासंघ में सभी नाराज हैं। अध्यक्ष भी बेहद नाराज हैं। ये सभी चीजें आकलन का हिस्सा हैं।' 

प्रदर्शन को उम्मीद से कमतर स्वीकार करते हुए रनिंदर ने खेलों के बाद समीक्षा का वादा किया था जिसमें बड़ी प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों को बेहतर तरीके से तैयार करने के लिए कोचिंग स्टाफ में आमूलचूल बदलाव भी शामिल था। पांच साल पहले रियो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों के पदक जीतने में नाकाम रहने के बाद भी अभिनव बिंद्रा की अगुआई वाली समिति में देश में निशानेबाजी के संचालन को लेकर सुधारवादी कदमों की सिफारिश की थी।