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लाहौर : ऑस्ट्रेलिया के कप्तान आरोन फिंच ने माना है कि उनका हालिया फॉर्म निराशाजनक है, लेकिन 35 की उम्र के बावजूद वह वापसी कर सकते हैं। शनिवार को लाहौर में फिंच लगातार दूसरी पारी में बिना खाता खोले पवेलियन लौटे और ऐसा उनके अंतररष्ट्रीय करियर में पहली बार हुआ है। उनके आउट होने से कुछ घंटों बाद ऑस्ट्रेलिया को वनडे सीरीज में 9 विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा और जाहिर सी बात थी कि कप्तान के निजी फॉर्म पर सवाल उठाए गए। 

फिंच ने 2022 में अपनी पिछली आठ अंतररष्ट्रीय पारियों में केवल 101 रन बनाए हैं। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मैंने श्रीलंका के विरुद्ध सीरीज और यहां पर्याप्त रन नहीं बनाए हैं। उम्र के साथ आप अपने काबिलियत पर भी शक करने लगते हैं। मुझे लगता है इस दौरान मेरा अभ्यास बड़ा ही सकारात्मक रहा है। बस मैच में शुरुआती गेंदों में मेरे पैड बीच में आ रहे हैं। ऐसा मेरे करियर में अक्सर हुआ है और मुझे उम्मीद है श्रीलंका में अगले सीरीज़ से पहले मैं इसमें सुधार ले आऊंगा।' 

फिंच के लिए चिंता का विषय है कि इस दौरे पर ऑस्ट्रेलिया के लिए शीर्ष क्रम में कई ठोस विकल्प उभर कर आए। ट्रैविस हेड और बेन मैक्डरमाट ने इस सीरीज़ में ख़ासा प्रभावित किया और वहीं डेविड वॉर्नर, स्टीवन स्मिथ और मिचेल मार्श जैसे खिलाड़ी इस सीरीज़ में नहीं खेले लेकिन आगे चलकर टीम में अपनी जगह ले सकते हैं। पाकिस्तान के हारिस रउफ ने उन्हें अपनी तीसरी ही गेंद में लेट स्विंग के जरिए पगबाधा आउट किया। इस समस्या ने फिंच को 2019 विश्व कप के पहले भी परेशान किया था जब भुवनेश्वर कुमार उन्हें इस तरीके से आउट करते थे। 

ऑस्ट्रेलिया को पिछले साल टी20 विश्व कप जिताने वाले कप्तान फिंच ही थे और वह इस वर्ष घरेलू परिस्थितियों में खिताब का बचाव करना चाहते हैं। वह 2023 में भारत में 50-ओवर का विश्व कप भी खेलना चाहते हैं। इस दौरे पर इकलौते टी20 मैच में उन्हें फॉर्म ढूंढने का एक आखिरी मौका मिलेगा। इसके बाद वह आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम में अपने टेस्ट कप्तान पैट कमिंस के साथ खेलते हुए नजर आएंगे। ऑस्ट्रेलिया का अगला दौरा जून में श्रीलंका में होगा, जहां तीन टी20 और पांच वनडे मुक़ाबले होंगे। 

आखिरी मैच में बड़े अंतर से हारने के बावजूद एक कमजोर ऑस्ट्रेलियाई टीम के प्रदर्शन से फिंच काफी संतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा, 'हमारे तेज गेंदबाजों ने कई बार बेहतरीन गेंदबाजी की। नेथन एलिस, जेसन बेहरनडॉर्फ, मिचेल स्वेप्सन, शॉन ऐबट और कैमरन ग्रीन जैसे खिलाड़यिों के पास विश्व स्तरीय बल्लेबाज़ों के विरुद्ध गेंदबाजी करने का एक बढ़िया अवसर था। ऐसी सपाट पिचों पर ऐसी शक्तिशाली बल्लेबाज़ी क्रम के विरुद्ध खेलने से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और इससे टीम में गहराई भी बढ़ेगी। परिणामों के पीछे छुपने का कोई फायदा नहीं लेकिन मैं हमारे युवा खिलाड़यिों की बहादुरी और कर्मठता से बहुत खुश हूं।'