स्मृति ईरानी का राहुल गांधी पर बड़ा हमला, कांग्रेस की गलत नीतियों से बढ़ा NPA

Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Sep, 2018 12:18 AM

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आज प्रैस कॉन्फ्रैंस करके कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही एनपीए बढ़े। नेशनल हेराल्ड को लेकर भी ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा।

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आज प्रैस कॉन्फ्रैंस करके कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही एनपीए बढ़े। ईरानी ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बयान का भी जिक्र किया कि कांग्रेस की अगुवाई में चली यूपीए सरकार के समय हुए कोयला घोटाला और विभिन्न लोन की वजह से ही बैंक इस समय संकट से जूझ रहा है। ईरानी ने कहा कि कांग्रेस की वजह से ही बैंकों को करोड़ों का घाटा हुआ।

स्मृति ईरानी की प्रैस कॉन्फ्रैंस के Highlights

  • नेशनल हेराल्ड केस को लेकर भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी सवालों के घेरे में हैं।
     
  • राहुल इनकम टैक्स रोकने के लिए कोर्ट गए।
     
  • राहुल की कंपनी यंग इंडियन केवल कांग्रेस हित में काम करती है और उन्होंने अपनी संपत्ति आयकर से भी छिपाई।
     
  • राहुल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गले मिलने की इतनी जल्दबाजी रहती है लेकिन वे आयकर विभाग से दूर क्यों भागते हैं।
     
  • एक तरफ पीएम मोदी जी के नेतृत्व में गरीब से गरीब लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है और दूसरी ओर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की गतिविधियां जनता के सम्मुख आकर एक ही उदाहरण प्रस्तुत कर रही है कि गांधी परिवार की मंशा खुद को सशक्त करने तक सीमित है।
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    उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि बैंक अधिकारियों के अति उत्साह, सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुस्ती तथा आर्थिक वृद्धि दर में नरमी डूबे कर्ज के बढ़ने की प्रमुख वजह है। राजन ने एक संसदीय समिति को दिए नोट में यह राय व्यक्त की है। आकलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को दिए नोट में उन्होंने कहा कि कोयला खदानों का संदिग्ध आवंटन के साथ जांच की आशंका जैसे राजकाज से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के कारण संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और उसके बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी हुई।
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    उन्होंने कहा कि इससे रुकी परियोजनाओं की लागत बढ़ गई। इससे कर्ज की अदायगी में समस्या पैदा हुई।  उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में बैंकों का डूबा कर्ज या एनपीए 2006 से 2008 के दौरान बढ़ा जबकि आर्थिक वृद्धि दर काफी तेज थी। पुरानी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं मसलन बिजली परियोजनाएं समय पर तय बजट में पूरी हुईं।

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