दो सरकारों के करार में सरकार भागीदार का फैसला नहीं करती: वी के सिंह

Edited By Anil dev,Updated: 30 Sep, 2018 03:02 PM

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विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे का बचाव करते हुए कहा है कि अंतर सरकार करारों में भागीदार का चयन सरकार द्वारा नहीं किया जाता है। सिंह ने कहा कि सरकार नहीं, उपकरण बनाने वाली कंपनी तय करती है कि आफसेट प्रतिबद्धता को पूरा करने के...

दुबई: विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे का बचाव करते हुए कहा है कि अंतर सरकार करारों में भागीदार का चयन सरकार द्वारा नहीं किया जाता है। सिंह ने कहा कि सरकार नहीं, उपकरण बनाने वाली कंपनी तय करती है कि आफसेट प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए भागीदार कंपनी कौन सी होगी। दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास में शनिवार शाम को भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि यदि फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन को भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की वैमानिकी कंपनी ङ्क्षहदुस्तान एरोनॉटिक्स लि. (एचएएल) ‘उपयोगी’ नजर नहीं आई तो इसको लेकर होहल्ला करने की जरूरत नहीं है। 

भारत सरकार ने किया था अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित 
उन्होंने कहा, ‘‘जो बात उठ रही है वह यह कि एचएएल को क्या हुआ। यदि मैं व्यंग के लहजे में कहूं तो दसॉल्ट को एचएएल उपयोगी नहीं लगती है, तो हमें हल्ला नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उपकरण बनाने वाली कंपनी यह तय करती कि आफसेट किसे देना है। ऐसे में यह फैसला दसॉल्ट का था। कई चीजों के लिए उन्होंने विभिन्न कंपनियों का चयन किया। अनिल अंबानी उनमें से एक हैं।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल, 2015 को पेरिस में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बैठक के बाद 36 राफेल जेट लड़ाकू विमानों की खरीद की घोषणा की थी। इस सौदे को अंतिम रूप 23 सितंबर, 2016 को दिया गया। इस मामले में विवाद ने उस समय जोर पकड़ा जब ओलांद ने फ्रांसीसी मीडिया में बयान में कहा कि भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया था और फ्रांस के पास कोई और विकल्प नहीं था।      

सिंह ने किया सरकार का बचाव
सिंह ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि एचएएल के ऊपर पहले की काफी काम का बोझ है और उसे कई चीजें करनी हैं। ‘‘हो सकता है कि दसॉल्ट ने उनके साथ बातचीत की हो। कहा जा रहा है कि एचएएल के साथ बातचीत 95 प्रतिशत पूरी हो गई थी। ऐसे में पांच प्रतिशत का क्या हुआ। कैसे यह वार्ता टूट गई।’’  उन्होंने दावा किया कि मूल कीमत तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा 126 विमानों के लिए जिस कीमत को लेकर बातचीत की गई थी तथा उड़ान की स्थिति में विमान की मूल कीमत जो बैठेगी उसे देखा जाए तो मौजूदा सरकार ने 40 प्रतिशत कम में सौदा किया है। उन्होंने कहा कि जब संबंधित उपकरण की बात आती है तो गोपनीयता प्रावधान लागू होता है। वैमानिकी, रडार, हथियार प्रणाली और हथियार आपूर्ति प्लेटफार्म के प्रकार आदि का यदि खुलासा कर दिया जाएगा तो दुश्मन जान जाएगा कि उसमें क्या किया गया है। इस वजह से इसे गोपनीय रखा जाता है।       

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