Edited By Anil dev,Updated: 20 Sep, 2018 06:14 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की साढ़े चार साल की उपलब्धियां गिनाते हुए आज कहा कि इस दौरान देश का चौतरफा विकास इसलिए संभव हो सका कि मौजूदा सरकार कठिन फैसले लेने से नहीं हिचकिचाई। मोदी ने यहां द्वारका में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी...
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की साढ़े चार साल की उपलब्धियां गिनाते हुए आज कहा कि इस दौरान देश का चौतरफा विकास इसलिए संभव हो सका कि मौजूदा सरकार कठिन फैसले लेने से नहीं हिचकिचाई। मोदी ने यहां द्वारका में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी केंद्र के शिलान्यास के मौके पर कहा कि बीते 50 महीने इसके गवाह हैं कि यह सरकार राष्ट्रहित में कठिन फैसले लेने में पीछे नहीं रहती। देश में पिछले चार वर्षों में चौतरफा विकास इसीलिए संभव हो पाया। सरकार बेहतर काम इसलिए कर पाई, क्योंकि राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा गया और व्यवस्था को सही दिशा में मोड़ा गया।
उन्होंने कहा कि देश व्यवस्था से चलता है, संस्थानों से आगे बढ़ता है और ये दो-चार महीने, दो-चार साल में नहीं होता। ये वर्षों के सतत विकास का परिणाम होता है और इसमें बहुत महत्वपूर्ण होता है कि फैसले समय पर लिए जाएं और उन्हें बिना टाले लागू किया जाए। अब ये छोटे बैंकों के विलय का फैसला ही लीजिए। करीब ढाई दशक पहले इसके बारे में कदम उठाने की बात शुरू हई थी, लेकिन इस दिशा में आगे बढ़ने का साहस नहीं दिखाया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने देश के विकास के लिए अभूतपूर्व योजनाओं पर कार्य शुरू किया है। सबसे लंबी सुरंग बनाने, सबसे लंबी गैस पाइपलाइन बिछाने, समंदर पर सबसे लंबा पुल बनाने, सबसे बड़ी मोबाइल विनिर्माण इकाई बनाने और देश के हर गांव तक ब्रॉडबैंड संपर्क उपलब्ध कराने का काम किया है। उन्होंने इस संदर्भ में देश के हर गांव और हर परिवार तक बिजली पहुंचाने, वित्तीय समावेशन की सबसे बड़ी जनधन योजना, ग्रामीण क्षेत्र में सबसे बड़े बैंकिंग नेटवर्क इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की शुरुआत, वस्तु एवं सेवा कर लागू करने, स्वच्छ भारत अभियान और आयुष्मान भारत का भी जिक्र किया।
मोदी ने कहा कि ये कुछ उदाहरण सिर्फ देश के भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचों को नई दिशा देने वाली परियोजनाएं नहीं हैं, बल्कि 21वीं सदी के भारत,‘न्यू इंडिया’ की गति, आकार और कौशल के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हम दुनिया में कहीं भी जाएं, अक्सर देखने को मिलता है कि छोटे-छोटे देश भी बड़े-बड़े सम्मेलन करने की क्षमता रखते हैं। इस तरह की आधुनिक व्यवस्थाओं के निर्माण की वजह से कई देश सम्मेलन पर्यटन के केंद्र बने हैं, लेकिन हमारे यहां वर्षों तक इस दिशा में सोचा ही नहीं गया। सम्मेलनों को सिर्फ प्रगति मैदान जैसे कुछ केंद्रों तक ही सीमित कर दिया गया। अब यह सोच बदली है और इसी का परिणाम आज का ये आयोजन है।