Edited By Anil dev,Updated: 17 Jul, 2018 02:13 AM
हंगामे की आशंकाओं के बीच बुधवार से शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र में सरकार के कई अहम विधेयक आने हैं। इसमें तीन तलाक विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक, बलात्कार के दोषियों को सख्त दंड का प्रावधान वाला विधेयक काफी...
नई दिल्ली: हंगामे की आशंकाओं के बीच बुधवार से शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र में सरकार के कई अहम विधेयक आने हैं। इसमें तीन तलाक विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक, बलात्कार के दोषियों को सख्त दंड का प्रावधान वाला विधेयक काफी महत्वपूर्ण है। बजट सत्र के दौरान हंगामे के चलते इनमें से कई विधेयक लटके रह गए थे, जिन्हें इस बार सरकार पारित कराने की कोशिश करेगी।
सूत्रों के अनुसार कुछ अध्यादेशों को भी विधेयक के रूप में पारित कराने के लिए पेश किया जाएगा। तीन तलाक विधेयक सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। यह विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में लंबित है। सरकार का जोर अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक को पारित कराने पर भी है। सरकार के एजेंडे में मेडिकल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक और ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़ा विधेयक भी है।
ये विधेयक होंगे पेश:
मानसून सत्र के दौरान आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2018 भी पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इसमें 12 साल से कम आयु की लड़कियों से बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान किया गया है। अन्य विधेयक इस प्रकार हैं:
- सार्वजनिक परिसर अनधिकृत कब्जा को हटाने संबंधी संशोधन विधेयक 2017,
- दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2017,
- जन प्रतिनिधि संशोधन विधेयक 2017,
- नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अमेंडमेंट विधेयक,
- नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 2018,
- भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक 2018।
इन विधेयकों पर भी होगी चर्चा:
- सत्र के दौरान चर्चा के लिए नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक, महत्वपूर्ण बंदरगाह प्राधिकार विधेयक 2016,
- राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय विधेयक 2017,
- भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक 2013 को भी एजेंडे में रखा गया है।
- भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक 19 अगस्त 2013 को राज्यसभा में पेश किया गया था। बाद में इसे प्रवर समिति को भेजा गया जिसने 12 अगस्त 2016 को राज्यसभा में रिपोर्ट पेश की थी। यह विधेयक राज्यसभा में पास होने के बाद लोकसभा में पेश किया जा सकता है।