ज़िद ने चूमे कदम, सूबे की बेटी ने सीहोर के पत्थरों से एवरेस्ट पर उकेरा MP

Edited By prashar,Updated: 25 May, 2018 01:08 PM

megha parmar reached at mount everest

जिले की 24 वर्षीया बेटी मेघा परमार ने मांऊट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर पूरे विश्व में मध्प्रदेश का नाम रोशन किया है। मेघा ने 24 मई को एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। मेघा की इस कामयाबी पर प्रदेश की खेल एवं युवा मामलों की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने उन्हें...

सीहोर : जिले की 24 वर्षीया बेटी मेघा परमार ने मांऊट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर पूरे विश्व में मध्प्रदेश का नाम रोशन किया है। मेघा ने 24 मई को एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। मेघा की इस कामयाबी पर प्रदेश की खेल एवं युवा मामलों की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने उन्हें बधाई दी है।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि ‘नारी शक्ति! मेगा परमार, मध्यप्रदेश और देश की शान है। हार्दिक बधाई मेघा’। मेगा को बधाई देते हुए खेल मंत्री ने ये भी लिखा कि पूरे प्रदेश और देश को आपकी उपलब्धि पर गर्व है।

 


मध्यप्रदेश के सीहोर की रहने वाली मेघा माउंट एवरेस्ट फतेह करने के मिशन पर थी। मेघा ने 24 मई को सुबह 10.45 बजे एवरेस्ट पर झंडा फहराया था। एवरेस्ट पर पहुंचकर मेघा ने वहां प्रदेश की मिट्टी की छाप भी छोड़ी। मेघा ने एवरेस्ट के धरातल पर सीहोर से लाए गए पत्थरों से MP भी उकेरा।

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एवरेस्ट फतेह करने पर क्या कहा मेघा ने ?

एवरेस्ट फतेह करने पर मेघा ने कहा कि ‘मैं आज बहुत खुश हूं। मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा हुआ है। मैंने बेस कैंप से कैंप नंबर 4 तक का सफर 18 मई को ही पूरा कर लिया था। 7600 मीटर की ऊंचाई और -15 से 20 डिग्री के बीच तापमान था। वातावरण में ऑक्सीजन लेवल कम हो गया तो शेरपा ने मेरे मास्क से ऑक्सीजन सिलेंडर जोड़ा। लेकिन इसे लगाने के बाद मैं 10 मीटर ही चली कि मेरा दम घुटने लगा, क्योंकि मुझे मास्क से ऑक्सीजन लेने की आदत नहीं थी। शेरपा ने देखा और दौड़कर मेरा मास्क लगा दिया और वो मुझे वापस बेस कैंप ले आए’।

‘जब लगा कि मेरा सपना अब पूरा नहीं होगा’

19 मई को सुबह कैंप नंबर-4 के आगे वातावरण में ऑक्सीजन लेवल शून्य होने और मेरे मास्क नहीं लगाने की जिद से परेशान होकर डॉक्टर्स ने एवरेस्ट समिट की अनुमति देने से मना कर दिया। मेरा सपना टूटने लगा। पर, मेरी जिद अटल थी। शाम को शेरपा और डॉक्टर्स ने कैंप से शिखर तक ऑक्सीजन मास्क लगाकर रखने की शर्त के साथ मुझे आगे बढ़ने की अनुमति दी और इस तरह 24 मई को मैंने अपना सपना पूरा किया।

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गांव में बेटी के लौटने का इंतजार, जश्न की तैयारी

मेघा के ट्रेनर रत्नेश पांडे ने बताया कि -20 डिग्री तापमान में रहने के बाद सामान्य वातावरण में आने में वक्त लगता है। इसलिए बेस कैंप 3 और 2 में करीब 7-7 घंटे का रेस्ट करने के बाद मेघा नीचे पहुंचीं और उधर, मेघा के गांव में जश्न मनाया गया। अब सब बेटी के घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। पिता दामोदर परमार और मां मंजू ने बताया कि मेघा ने सीहोर की मिट्टी एवरेस्ट के शिखर पर स्थापित कर दी है।

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