Edited By Seema Sharma,Updated: 22 Aug, 2018 09:12 AM
इस साल 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा और फिर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को अपने नेताओं की गलत बयानी का खतरा महसूस होने लगा है। पार्टी को आशंका है कि बयानबाजी के लिए मशहूर उसके नेता अपने बड़बोलेपन या ऊल-जुलूल बयानों से पार्टी को...
नई दिल्ली: इस साल 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा और फिर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को अपने नेताओं की गलत बयानी का खतरा महसूस होने लगा है। पार्टी को आशंका है कि बयानबाजी के लिए मशहूर उसके नेता अपने बड़बोलेपन या ऊल-जुलूल बयानों से पार्टी को नुक्सान पहुंचा सकते हैं। इन नेताओं की सूची तैयार की गई है, जो इसके लिए पार्टी में कुख्यात हो चुके हैं।
भाजपा के एक बड़े नेता से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष अमित शाह इस बात को लेकर काफी चौंकन्ने हैं कि पार्टी के किसी नेता की ओर से गलत बयानी या फिर कोई अनर्गल बात न कही जाए। उन्होंने सभी प्रदेश अध्यक्षों और संगठन मंत्रियों को कहा कि यह सुनिश्चित करें कि किसी भी मुद्दे पर पार्टी द्वारा अधिकृत व्यक्ति ही बयान दे।
सूत्रों का कहना है कि कई बार इस तरह की बयानबाजी की वजह से पूरा चुनावी परिदृश्य ही बदल जाता है।
पार्टी एक पूरी सोची-समझी रणनीति और मुद्दों को लेकर चुनाव में आगे बढ़ती है। ऐसे में मुद्दों या रणनीति से हटकर बयानबाजी से पार्टी को नुक्सान हो सकता है। इसके लिए पिछले लोकसभा चुनाव का उदाहरण भी पार्टी फोरम पर दिया जा रहा है कि कैसे भाजपा के एक नेता जो अब केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं, के बयान की वजह से भाजपा 5 सीटों पर साधारण अंतर से हार गई थी। सूत्रों का कहना है कि महिला उत्पीड़न, दलित, अल्पसंख्यक और मंदिर जैसे मुद्दे पर संजीदगी दिखाने की नसीहत पार्टी कार्यकर्त्ताओं को दी गई है। विरोधी दल के नेताओं के खिलाफ अमर्यादित शब्दों और इशारों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह भी दी जा रही है। गौरतलब है कि चुनावी सरगर्मी में अक्सर पार्टी नेता ऐसे बयान देते रहते हैं, जो मीडिया में छा जाते हैं और जिन पर भरपूर विवाद भी होता है।