सरदार पटेल ना होते तो अलग होती तस्वीर, 562 रियासतों को मिलाया था भारत में

Edited By shukdev,Updated: 31 Oct, 2018 05:54 AM

if sardar patel was not there the picture of india was different

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारत की आजादी के बाद प्रथम गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की आज 143वीं जयंती है। सरदार पटेल को भारत के भौगोलिक स्वरूप के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने आजाद भारत में और इससे पहले देश के...

नेशनल डेस्कः स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारत की आजादी के बाद प्रथम गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की आज 143वीं जयंती है। सरदार पटेल को भारत के भौगोलिक स्वरूप के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने आजाद भारत में और इससे पहले देश के लिए कई उल्लेखनीय काम किए हैं। आइए उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हैं, उनके योगदानों के बारे में, जो भारत हमेशा याद रखेगा।

PunjabKesariअगर सरदार पटेल ने प्रयास न किए होते तो आज के भारत का नक्शा कैसा होता? दरअसल जब भारत आजाद हुआ उस समय भारत 562 रियासतों में बंटा हुआ था। सरदार पटेल के प्रयास के चलते ही देश एक सूत्र में बंध पाया और विकास की गति पकड़ पाया।

स्वतंत्रता के बाद जब हैदराबाद का शासक निजाम अपने राज्य को भारत में विलय के लिए इच्छुक नहीं दिख रहा था, तब सरदार पटेल के द्वारा सेना के कूच करने आदेश को दिए जाना आज भी याद किया जाता है। सरदार पटेल एक स्वावलंबी व प्रखर पुरुष थे। सरदार पटेल को सख्त निर्णय लेने वाला नेता माना जाता रहा है। जब तक वह भारत के गृहमंत्री के पद पर रहे, उन्होंने भारत व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखा।

PunjabKesariतो सुलझ जाता कश्मीर मुद्दा
कश्मीर का मुद्दा आज भी चिंता का ही विषय हैं,लेकिन एक समय ऐसा था जब यह समस्या सुलझने की कगार पर थी लेकिन उस समय पटेल की मर्जी चलने नहीं दी गई। गृहमंत्री के पद पर रहते हुए पटेल ने इसे सुलझाने का भरपूर प्रयास किया। कश्मीर पर अपनी बेबसी पटेल ने कभी नहीं छुपाई। पटेल कहते थे कि यदि नेहरू और गोपाल स्वामी आयंगर कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप न करते और उसे गृहमंत्रालय से अलग न करते तो हैदराबाद की तरह इस मुद्दे को भी आसानी से देशहित में सुलझा लेते।

PunjabKesariदरअसल भारत के एकीकरण के दौरान सिर्फ हैदराबाद के आॅपरेशन पोलो के लिए पटेल को सेना भेजनी पड़ी थी जिसके बाद वह भी भारत का हिस्सा बन गया। पटेल ठीक वैसे ही कश्मीर को भी भारत में मिलाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने पूरा जोर लगाया लेकिन नेहरू नहीं माने और पटेल को अपनी सीमा के अंदर रहकर ही काम करना पड़ा। लेकिन उनकी यही सीमाएं कश्मीर मुद्दा नहीं सुलझा पाई और आज ये समस्या भारत के लिए नासूर (एक ऐसा घाव जिसमें से बराबर मवाद निकलता रहता) है।

पटेल पूरी तरह से आश्वस्त थे कि अगर उन्हें छूट दी जाती तो कश्मीर भी भारत में होता। पटेल ने मायूस होकर इस समस्या से खुद को अलग कर लिया और पाकिस्तान ने इसका फायदा उठाया।

PunjabKesariनेहरू के लिए नहीं बने पीएम
भारत की आजादी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए पटेल प्रबल दावेदार थे,देश की जनता उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी। यहां तक कि कांग्रेस की कई समितियां भी इसकी पक्षधर थीं लेकिन गांधी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ से खुद को अलग कर लिया और उन्होंने इस पद के लिए नेहरू का समर्थन किया। पटेल को उप-प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री का कार्य सौंपा गया। हालांकि नेहरू और पटेल के बीच संबंध कभी सामान्य नहीं रहे और कई ऐसे अवसर आए जब दोनों ने अपने पदों से त्यागपत्र तक देने की धमकी दे डाली। गृहमंत्रायल संभालते ही उन्होंने सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभाई देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाने की और वो भी बिना किसी खून-खराबे के। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान को आज भी सराहा जाता है।

PunjabKesariभारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष के नाम से प्रसिद्ध
आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष भी कहा जाता है। उनका भारत की एकता और अखंडता में सराहनीय सहयोग रहा। पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक लेवा गुर्जर कृषक परिवार में हुआ था। वे महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे, और उन्हीं विचारों के चलते उन्होंने भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लिया।

नेहरू को चीन के साथ युद्ध से पहले किया था आगाह
सरदार पटेल ने साल 1950 में प्रधानमंत्री नेहरू को पत्र लिखकर चीन से आगाह रहने की सलाह दी थी। दुर्भाग्य से पंडित नेहरू इस खतरे को भांप नहीं पाए। भारत को साल 1962 में युद्ध का सामना करना पड़ा।

PunjabKesariIAS, IPS और केंद्रीय सेवाओं का जनक हैं सरदार पटेल
देश के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री पटेल को आईएएस, आईपीएस और केंद्रीय सेवाओं का जनक कहा जाता है। सरदार पटेल अपने शुरुआती दिनों में एक वकील भी थे। वे गांधी से बेहद प्रभावित थे। साल 1917 में गाधी से प्रभावित होकर वे आजादी के आंदोलन की ओर मुड़ गए। 1917 से 1924 तक सरदार पटेल ने अहमदनगर के पहले भारतीय निगम आयुक्त के रूप में सेवा प्रदान की और 1924 से 1928 तक वे इसके निर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष भी रहे।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!