Edited By Anil dev,Updated: 07 Aug, 2018 12:54 PM
गुजरात उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दस्तावेजों में (मैनुअल) दायर करने की अनुमति दी है। आयकर विभाग को इस व्यक्ति का आईटीआर स्वीकार करने का निर्देश दिया गया है। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए वाई कोगजी की खंडपीठ ने...
अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दस्तावेजों में (मैनुअल) दायर करने की अनुमति दी है। आयकर विभाग को इस व्यक्ति का आईटीआर स्वीकार करने का निर्देश दिया गया है। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए वाई कोगजी की खंडपीठ ने के आर कोश्ती की याचिका पर यह आदेश दिया। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 अगस्त, 2018 है।
नियमों के अनुसार आईटीआर को आयकर विभाग के वेब पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी है। इसे पहले संबंधित आयकर दाता के आधार नंबर से जोडऩा होता है। अपनी याचिका में कोश्ती ने उच्च न्यायालय से विभाग को यह निर्देश देने की अपील की थी कि विभाग आकलन वर्ष 2018-19 के लिए उनका आईटीआर स्वीकार करे और आधार नंबर देने पर जोर नहीं दे।
याचिकाकर्ता ने आयकर कानून की धारा एए को चुनौती दी थी, जिसमें आईटीआर भरते समय आधार नंबर देना या आधार आवेदन फॉर्म की नामांकन संख्या देना अनिवार्य है। साथ ही इस साल एक जुलाई से पैन नंबर लेने के लिए आधार अनिवार्य किया गया है। कोगजी ने कहा कि उन्होंने आधार कार्ड के लिए आवेदन नहीं किया है इसलिए उनके पास आधार नंबर नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने पैन को आधार से जोडऩे की समयसीमा बढ़ाकर 31 मार्च, 2019 कर दी है।