देश में सैन्य कर्मियों की संख्या घटाने पर सरकार की सफाई

Edited By Yaspal,Updated: 13 Sep, 2018 01:45 AM

government on reducing the number of military personnel in the country

देश में सैन्यकर्मियों की संख्या घटाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है।  आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस का यह आरोप बेबुनियाद है सरकार सैन्यकर्मियों की संख्या...

नई दिल्लीः देश में सैन्यकर्मियों की संख्या घटाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस का यह आरोप बेबुनियाद है सरकार सैन्यकर्मियों की संख्या में कटौती करने जा रही। इस पहले कांग्रेस ने सेना में 1.50 लाख नौकरियां कम करने संबंधी खबरों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बताया और सवाल किया कि अपने प्रचार तथा विदेश यात्राओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने वाली मोदी सरकार सेना की मजबूती के लिए पर्याप्त निधि उपलब्ध क्यों नहीं कराती है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि यह दुखद है कि कांग्रेस पार्टी सरकार पर निराधार आरोप लगा रही है और देश की रक्षा करने वाले जवानों के लिए घड़यिाली आंसू बहाने का काम कर रही है। इससे भी ज्यादा दुख की बात यह है कि कांग्रेस ने स्वयं स्वीकार किया है कि उसके आरोप अपुष्ट मीडिया रिपोर्टों पर आधारित है और ऐसा करके कांग्रेस ने मूर्खतापूर्वक खुद ही स्वीकार कर लिया है कि उसके आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और वह सरकार की छवि खराब करने का असफल प्रयास कर रही है।

देश में सैन्यकर्मियों की संख्या घटाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। कांग्रेस का यह आरोप बेबुनियाद है। अपनी पूर्ववर्ती सरकार की तरह देश की वर्तमान सरकार भी देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है। सेना का आधुनिकीकरण और नयी चुनौतियों के अनुसार सेना को तैयार करना सरकार की प्राथमिकता है।

कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार को यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि सरकार को मीडिया की खबरों की असलियत सबके सामने रखनी चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि क्या रक्षा मंत्रालय में सेना की डेढ लाख नौकरियों को कम करने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि यह देश की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।

प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर अपनी सरकार के प्रचार प्रसार पर साढे चार साल में 500 करोड़ रुपये, भाजपा मुख्यालय चमकाने पर 1100 करोड़ रुपये तथा अपनी विदेश यात्राओं पर दो हजार करोड़ रुपये खर्च कर सकती है तो फिर यह सरकार सेना को पर्याप्त बजट क्यों नहीं दे सकती है।

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