RTI में कोहिनूर पर सबसे बड़ा खुलासा, अंग्रेजों को गिफ्ट नहीं सरेंडर किया था हीरा

Edited By Yaspal,Updated: 17 Oct, 2018 01:07 AM

disclosure on kohinoor in rti british did not surrender gifts to the diamond

कोहिनूर हीरा आम जनता के बीच कौतूहल का विषय बना रहा है और लोग जानना चाहते हैं कि भारत को ये कीमती हीरा आखिर ब्रिटेन कैसे चला...

नेशनल डेस्कः कोहिनूर हीरा आम जनता के बीच कौतूहल का विषय बना रहा है और लोग जानना चाहते हैं कि भारत को ये कीमती हीरा आखिर ब्रिटेन कैसे चला गया। इसी को लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने RTI के तहत पूछा कि क्या बेशकीमती हीरा अंग्रेजों को उपहार में दिया गया था या किन्हीं अन्य कारणों से इसे ब्रिटिश हुकूमत को दे दिया गया था। इस पर पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपना जवाब दे दिया है।

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आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि लाहौर के महाराजा ने करीब 170 वर्ष पहले इंग्लैंड की महारानी को 108 कैरेट का कोहिनूर समर्पित किया था न कि उन्हें सौंपा था। मतलब साफ है कि यह बेशकीमती हीरा गिफ्ट नहीं किया गया, बल्कि उसे लाहौर के महाराजा ने सरेंडर किया था।

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गौरतलब है कि एएसआई की ओर से 10 अक्टूबर को दिया गया लिखित जवाब अप्रैल 2016 में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दिए जवाब से अलग है। सरकार ने कोर्ट में कहा था कि कोहिनूर की की अनुमानित कीमत 20 करोड़ डॉलर से ज्यादा है, जिसे न तो चुराया गया था और न ही अंग्रेज शासक उसे जबरन ले गए थे, बल्कि पंजाब के पूर्ववर्ती शासकों ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया था।

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जवाब के मुताबिक, राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखे रिकॉर्ड से पता चला है कि लॉर्ड डलहौजी और महाराजा दिलीप सिंह के बीच 1849 में लाहौर संधि हुई थी, जिसके तहत लाहौर के महाराजा ने कोहिनूर हीरा को इंग्लैंड की महारानी को समर्पित कर दिया था। यह सूचना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने लुधियाना के एक सामाजिक कार्यकर्ता के सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए सवालों के जवाब में दी है।

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आरटीआई दायर करने वाले रोहित सभरवाल ने बताया कि उन्होंने करीब एक महीने पहले आरटीआई दायर की थी, जिसमें पीएमओ से जवाब मांगा गया था। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन सवालों को एएसआई के पास भेज दिया गया, जिसने उनके जवाब दिए हैं। एएसआई ने जवाब में बताया कि बेशकीमती पत्थर कोहिनूर को महाराजा रणजीत सिंह ने शाह सुजा उल मुल्क से लिया था, जिसे लाहौर के महाराजा ने इंग्लैंड की महारानी को समर्पित कर दिया।

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जवाब के मुताबिक संधि से लगता है कि दिलीप सिंह की इच्छा पर अंग्रेजों को कोहिनूर नहीं सौंपा गया था, संधि के समय दिलीप सिंह नाबालिग थे। सभरवाल ने कहा कि हाल में वह इंग्लैंड गए थे और वहां एक संग्रहालय में उन्होंने कोहिनूर को देखा और उन्हें वहां बताया गया कि यह गिफ्ट किया गया था। आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक एएसआई और 2016 में केंद्र के जवाब में अंतर है और इसलिए केंद्र सरकार को इस पर गौर करना चाहिए।  

  

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