चाय बेचकर गुजर बसर करने वाले परिवार में जन्मे चंद्रकांत पाटिल दूसरी बार बने मंत्री, जानिए कैसा रहा उनका संघर्ष

Edited By rajesh kumar,Updated: 09 Aug, 2022 03:34 PM

chandrakant patil became a minister for the second time

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल दूसरी बार राज्य में मंत्री बने हैं। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले पाटिल (63) इससे पहले 2014-19 के दौरान राजस्व और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री रह चुके हैं।

नेशनल डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल दूसरी बार राज्य में मंत्री बने हैं। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले पाटिल (63) इससे पहले 2014-19 के दौरान राजस्व और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री रह चुके हैं। दो बार विधान पार्षद रहे और पहली बार पश्चिमी महाराष्ट्र से विधायक बने पाटिल को मंगलवार को एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल किया गया। 

मुंबई में चाय बेचकर गुजर-बसर करने वाले परिवार में पैदा हुए पाटिल ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में जगह बनाने से पहले कॉलेज के दिनों में संघर्ष किया। उन्होंने 1990 में श्रीनगर में तिरंगा लहराने के लिए एबीवीपी के ‘चलो कश्मीर' अभियान का भी नेतृत्व किया था। पाटिल 2005 में भाजपा में शामिल हुए और उन्हें पार्टी की महाराष्ट्र इकाई का सचिव बनाया गया। वह 2008 और 2014 में पुणे स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान पार्षद का चुनाव जीते। इसके बाद 2014 में भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता में आयी और पाटिल को कैबिनेट मंत्री बनाया गया तथा उनके पास राजस्व, कपड़ा, लोक निर्माण विभाग तथा सहकारिता और वाणिज्य विभाग का प्रभार रहा।

उन्होंने 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया और भाजपा ने उन्हें पुणे शहर से पार्टी की तत्कालीन विधायक मेधा कुलकर्णी के बजाय उम्मीदवार बनाया। पाटिल का ताल्लुक कोल्हापुर जिले से है लेकिन वह वहां से कभी चुनाव नहीं लड़े। एबीवीपी में रहने के दौरान ही वह भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के संपर्क में आए, जो अभी केंद्रीय गृह मंत्री हैं। जून में एकनाथ शिंदे और शिवसेना के 39 अन्य विधायकों ने अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसके बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी सरकार गिर गयी।

महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने बाद में शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर सभी को हैरत में डाल दिया था। 20 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। चंद्रकांत पाटिल ने पिछले महीने कहा था कि पार्टी ने ‘‘भारी मन'' से फडणवीस के बजाय शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया। हालांकि, बाद में भाजपा नेता आशीष सेलार ने कहा था कि यह न तो पाटिल का अपना रुख है और न ही पार्टी का रुख है और वह केवल सामान्य कार्यकर्ताओं की भावनाओं को अभिव्यक्त कर रहे थे।

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