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मुंबई, नौ जनवरी (भाषा) ओलंपिक रजत पदक विजेता और विश्व चैम्पियन बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने शनिवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि ऐसे अच्छे कोच होने जरूरी है, जो खिलाड़ियों की मानसिकता को समझ सकें और अधिक चैंपियन बनाने के लिए उनकी जरूरतों को पूरा कर सके।
ओलंपिक में भारत के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी (निशानेबाज) अभिनव बिंद्रा ने इस मौके पर खेल संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि यह ओलंपिक में कई पदक जीतने में देश की मदद करेगा।
सिंधू ने कहा, ‘‘ मैं चाहूंगी कि हमारे पास वास्तव में अच्छे कोच होने चाहिए, जो प्रत्येक खिलाड़ी का विश्लेषण करें क्योंकि हर खिलाड़ी की मानसिकता अलग होती है इसलिए उन्हें (कोच) खिलाड़ी की मानसिकता को समझना होगा।’’
सिंधू से ‘व्हार्टन इंडिया-इकोनॉमिक फोरम’ ऑनलाइन कार्यक्रम में जब पूछा गया कि उनके जैसे अधिक खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए क्या करना चाहिये तो उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे खेलने का अलग तरीका हो सकता है, हो सकता है कि मेरी मानसिक स्थिति दूसरो से अलग हो। उदाहरण के लिए साइना या किसी और खिलाड़ी को देखिये उनकी मानसिक स्थिति अलग हो सकती है। आपको खिलाड़ी को समझना होगा ।’’
हैदराबाद की इस 25 साल की खिलाड़ी ने उम्मीद जतायी की अगले कुछ वर्षों में बहुत सारे ऐसे खिलाड़ी होंगे जो देश का प्रतिनिधित्व करेंगे और पदक जीतेंगे।
राइफल निशानेबाज ब्रिंदा ने खेल संस्कृति की वकालत करते हुए कहा, ‘‘ हमारे लिए आगे बढ़ने और शायद आने वाले वर्षों में ओलंपिक में कई पदक जीतने की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें इस देश में खेलों की संस्कृति को वास्तव में बढ़ावा देना होगा।

बीजिंग ओलंपिक (2008) में 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतने वाले बिंद्रा ने कहा कि इसने देश में खेलों को सामाजिक आंदोलन का हिस्सा बनाने में मदद की।

इस 38 साल के पूर्व निशानेबाज ने कहा, ‘‘मुझे पता है कि हम सभी जीतने के बारे में सोच कर बहुत उत्साहित हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हमें वास्तव में खेल को इस देश में एक सामाजिक आंदोलन बनाना है, हमें और अधिक लोगों को खेलों से जोड़ना है जो सिर्फ मनोरंजन के लिए खेले।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ और जब ऐसा होगा तो खेलों में एलीट खिलाड़ियों की संख्या अपने आप बढ़ जाएगी।’’
टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति भी इस सत्र का हिस्सा थे जिसका संचालन भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने किया।



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