श्रीलंका को लेकर भड़कीं विश्व की महाशक्तियां, राष्ट्रपति सिरीसेना के फैसले पर जताया गुस्सा

Edited By Tanuja,Updated: 11 Nov, 2018 10:53 AM

us uk and others denounce dissolution of sri lanka parliament

राजनीतिक संकट से जूझ रहे भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में राष्ट्रपति सिरीसेना द्वारा संसद भंग करने के फैसले पर पश्चिमी देशों खासकर महाशक्तियों अमेरिका और ब्रिटेन ने गुस्सा जाहिर किया है।

कोलंबोः राजनीतिक संकट से जूझ रहे भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में राष्ट्रपति सिरीसेना द्वारा संसद भंग करने के फैसले पर पश्चिमी देशों खासकर महाशक्तियों अमेरिका और ब्रिटेन ने गुस्सा जाहिर किया है। बता दें कि शुक्रवार को सिरीसेना ने संसद को भंग करने का आदेश जारी किया था। महिंदा राजपक्षे को विक्रमसिंघे की जगह प्रधानमंत्री नियुक्त करने के बाद नई सरकार के बहुमत साबित नहीं कर पाने की आशंका खड़े होते ही राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया था।
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सिरीसेना ने श्रीलंका में 5 जनवरी को मध्यावधि चुनावों की घोषणा भी कर दी है। पिछले महीने विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने के सिरीसेना के फैसले ने श्रीलंका में बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले लिया है। सिरीसेना ने विक्रमसिंघे की जगह राजपक्षे को नियुक्त किया था जिन्हें चीन समर्थक नेता समझा जाता है। सिरीसेना के विरोधियों ने उनके संसद भंग करने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में इसे अवैध और असंवैधानिक बताया है। वहीं साउथ ऐंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स के अमेरिकी ब्यूरो ने एक ट्वीट में कहा है कि अमेरिका श्रीलंका से आ रही खबरों को लेकर चिंतित है। इसमें कहा गया है कि स्थायित्व और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्र का सम्मान होना चाहिए।
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एशिया और पशिफिक के ब्रिटिश मंत्री मार्क फिल्ड ने भी संसद भंग करने के फैसले को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने मार्क ने कहा है कि श्रीलंका के दोस्त के नाते ब्रिटेन सभी पक्षों से संविधान की सर्वोच्चता और लोकतंत्र के सम्मान की अपील करता है। अमेरिका, ब्रिटेन के अलावा कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी श्रीलंका के राजनीतिक हालात को लेकर टिप्पणी की है व चिंता जताई है। सिरीसेना ने कहा है कि उन्होंने विक्रमसिंघे को इसलिए बर्खास्त किया था क्योंकि वह विदेश नीति को ज्यादा तवज्जो देते हुए स्थानीय लागों की भावनाओं नजरअंदाज करने के नए एक्स्ट्रीम लिबरल पॉलिटिकल कॉन्सेप्ट को लागू कर रहे थे। 
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विक्रमसिंघे के एक सहयोगर मंगला समरवीरा ने कहा कि उनकी पार्टी कोर्ट के इस फैसले के स्वीकार करती है कि संसद को भंग करना गैरकानूनी था और अंततः संसद में वोट का परीक्षण किया जाएगा, जिससे साबित होगा कि बहुमत किसके पास है। समरवीरा ने रिपोर्टर से कहा, 'हम दिखाएंगे कि संसद में हमारे पास बहुमत है। हम दिखाएंगे कि तानाशाह राष्ट्रपति ने एक ऐसी सरकार को बर्खास्त किया है, जिसके पास संसद में बहुमत है।' 
  

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