नजरिया: धीरे-धीरे सामने आ रहा इमरान खान का असली चेहरा

Edited By Anil dev,Updated: 26 Oct, 2018 11:37 AM

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पाकिस्तान के नए वजीर-ए -आजम इमरान खान का असल चेहरा अब दुनिया के सामने आने लगा है। चुनाव के दौरान और उससे पहले भी यह बात अक्सर उठती रहती थी कि इमरान औरों के मुकाबले ज्यादा कटटरवादी हैं। उनके सेना और आतंकी संगठनों के साथ संबंधों को लेकर भी तमाम...

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): पाकिस्तान के नए वजीर-ए -आजम इमरान खान का असली चेहरा अब दुनिया के सामने आने लगा है। चुनाव के दौरान और उससे पहले भी यह बात अक्सर उठती रहती थी कि इमरान औरों के मुकाबले ज्यादा कटटरवादी हैं। उनके सेना और आतंकी संगठनों के साथ संबंधों को लेकर भी तमाम बयानबाजियां हुई थीं। लेकिन इमरान खान और उनके समर्थक तहरीक-ए -इन्साफ की बात करते रहे। सत्ता संभालने से पहले भी इमरान खान ने देश के नाम अपने सम्बोधन में यह आभास दिलाने की कोशिश की थी कि उनसे ज्यादा बेहतर शासक पाकिस्तान को मिल ही नहीं सकता। खासकर भारत समेत पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के मामले पर तो उन्होंने अपनी तहरीर से खूब सुर्खियां बटोरी थीं।  भारत के संदर्भ में इमरान खान ने यह कहा था कि भारत अगर एक कदम चलता है तो वे दो कदम चलेंगे। उसके बाद उनकी ताजपोशी वाले समारोह में हुई जफ्फी ने तो माहौल में नया रंग भर दिया था।  लेकिन असली रंग बाकी थे जो बाद में सामने आए। 

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खासकर जब भारत ने बिना किसी एजेंडे के संयुक्त राष्ट्र की आम सभा के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री के साथ बैठक करने से इंकार कर दिया। इंकार के तुरंत बाद इमरान खान का जो ट्वीट आया था उसने सब साफ कर दिया था। इमरान ने भारत सरकार को निशाना बनाते हुए छोटी सोच जैसे शब्दों का प्रयोग किया था। उधर जबसे इमरान खान ने सत्ता संभाली है तब से लेकर अब तक सीमा पार से 23 बार फायरिंग हो चुकी है। तीन बार बैट हमले हो चुके हैं। यही नहीं ताजा मामले में इमरान खान सरकार ने भारत विरोधी खूंखार आतंकी हाफिज सईद के संगठनों पर से प्रतिबंध हटा दिया है। इमरान हुकूमत ने हाफिज के संगठन जमात उद-दावा (जेयूडी ) और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को प्रतिबंधित संगठनों की सूची से हटा दिया है।

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इसके बाद हाफिज ने कोर्ट में याचिका डालकर खुद को आजाद करवा लिया है। अमेरिका के दवाब के बाद नवाज शरीफ सरकार ने यह प्रतिबंध लगाए थे। गौर हो की हाफिज ने अल्लाह-हू -अकबर तहरीक नामक पार्टी बनाकर नेशनल असेम्ब्ली का चुनाव भी लड़ा था। पाकिस्तान की जनता ने तब उसे बुरी तरह नकार दिया था। एक भी सीट पर हाफिज की पार्टी को जीत नसीब होना तो दूर सब जगह जमानत जब्त हुई थी। यहां तक कि उसका बेटा और दामाद भी बुरी तरह हार गए थे। एक तरह से पाकिस्तान के आवाम ने आतंक को इस तरह से नकारा था, लेकिन जनभावनाओं के विपरीत इमरान खान ने हाफिज सईद के संगठनों से प्रतिबंध हटा दिया है। यह उनके असल चेहरे को बेनकाब करता है। आतंक को समर्थन के चलते ही  अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली इमदाद पर भी कैंची चलाई थी। जब ऐसा हुआ तो इमरान खान ने चीन के साथ पींगे बढ़ाकर अमेरिका की भी काट निकालने की कोशिश की। 

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पाक-अमेरिका संबंधों पर इसका क्या असर पड़ेगा यह तो भविष्य बताएगा लेकिन भारत के लिहाज से इमरान खान के यह दोनों फैसले गंभीर हैं। अब फिर से जहां हाफिज सईदक खुलकर सक्रिय हो जाएगा। वहीं चीन को एहतराम देकर भी पाकिस्तान भारत के लिए चुनौतियां ही पेश कर रहा है। ऐसे में इमरान खान के खाने और दिखाने के दांत अब स्पष्ट नजर आने लगे हैं। वैसे पाठकों को याद दिला दें कि जब इमरान खान पाकिस्तान क्रिकेट टीम के  कप्तान थे और भारत की टीम उन दिनों, विशेष रूप से, शरजाह में लगातार पाकिस्तान से हार रही थी (एम्पायरों के सहयोग से ) तब इन्हीं इमरान खान ने बयान दिया था कि भारत कश्मीर का फैसला शरजाह के मैदान में कर ले। यह कमोबेश उनकी भारत के प्रति सोच को ही दर्शाता था जो दशकों से दूषित रही है। 

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