Edited By Jyoti,Updated: 10 Nov, 2018 01:57 PM
शिव पुत्र गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इनको याद किया जाता है। कह जाता है कि इंसान ही नहीं बल्कि देवता तक को हर शुभ काम करने से पहले इनको मनाना पड़ता है।
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शिव पुत्र गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इनको याद किया जाता है। कह जाता है कि इंसान ही नहीं बल्कि देवता तक को हर शुभ काम करने से पहले इनको मनाना पड़ता है। हिंदू धर्म के अनुसार गणेश जी की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। भारत में गणेश जी के लाखों मंदिर हैं, हर मंदिर का अपना ही महत्व है। आज हम आपको ऐसे मंदिर से रू-ब-रू करवाने जा रहें है जिसकी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है।
कुछ किवदंतियों के अनुसार मधुर गणपति का रहस्य कुछ अनोखा ही है। आइए आज हम आपको बताते हैं एक एेसे मंदिर के बारे में। मान्यताओं के अनुसार जहां गणेश जी ने अपने पिता के मंदिर में स्वयं के लिए जगह बनाई थी।
गणपति का यह प्रसिद्ध मंदिर केरल में स्थित है जिसे मधुर गणपति के नाम से जाना जाता है। यहां आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर की जगह पहले शिव जी का मंदिर हुआ करता था। यहां का पुजारी रोज़ शिव भगवान की पूजा करता था, उसका छोटा सा बेटा भी अपने पिता के साथ वहीं रहता था। एक दिन पुजारी के बेटे ने मंदिर के गर्भगृह में दीवार पर गणेश जी की प्रतिमा बनाई।
देखते ही देखते प्रतिमा का आकार बढ़ने लगा और वह मोटी भी होने लगी। जब ये बात पुजारी को पता चली तो वो हैरान रह गया और वहां भीड़ इकट्ठी होने लगी। तब से ये मंदिर गणेश जी के मंदिर से मशहूर हो गया। मधुर मंदिर का दृश्य बेहद सुंदर है। यहां भक्तों का आना जाना लगा रहता है। गणेश जी के साथ यहां शिव जी की पूजा आज भी होती है।
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