Kundli Tv- देवोत्थानी एकादशी क्यों मानी जाती है खास?

Edited By Jyoti,Updated: 18 Nov, 2018 05:46 PM

devutthana ekadashi

जैसे कि सब जानते ही हैं कि कल यानि 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतष शास्त्र के अनुसार देवोत्थान एकादशी साल में एक ही बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को आती है।

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जैसे कि सब जानते ही हैं कि कल यानि 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतष शास्त्र के अनुसार देवोत्थान एकादशी साल में एक ही बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को आती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु श्री विष्णु क्षीरसागर में अपनी 4 माह की नींद से जागते हैं, जिसके बाद सभी तरह के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार इन 4 महीनों के बीच सभी तरह के शुभ वर्जित होते हैं, क्योंकि श्रीहरि नींद की अवस्था में होते हैं। यहीं कारण है कि देवउठनी ग्यारस के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
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व्रत विधि- 
चार मास के लंबे विश्राम के बाद भगवान विष्णु के जागने पर भक्त उनको प्रसन्न करने के लिए पूजन, भजन और कीर्तन करते हैं। इस दिन प्रातः उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें। घर के आंगन में भगवान के चरणों की आकृति बनाएं। ये विश्वास किया जाता है कि भगवान इसी रास्ते आएंगे। फल, फूल, मिठाई आदि को एक टोकरी में रखें। रात्रि में परिवार सहित भगवान का पूजन करें। इस पूरी रात श्रद्धानुसार भगवान के विभिन्न नामों का जप करें। भगवान का संकीर्तन करें। माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त का भी पाठ करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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क्‍या न करें-
इस दिन घर में चावल नहीं बनना चाहिए।
घर का वातावरण सात्विक हो।
इस दिन प्रयास करना चाहिए कि घर के सभी लोग फलाहारी व्रत रहें। वृद्ध ,बालक तथा रोगी व्रत नहीं भी रख सकते हैं।
धूम्रपान या कोई भी नशा इस दिन कदापि मत करें।
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