रुपए में कमजोरी और महंगे इंपोर्ट की वजह से चाइनीज लाइटिंग बाजार में छाया सन्नाटा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Oct, 2018 12:49 PM

shadow silence in chinese lighting market due to weak rupee and import imports

डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट, आयात शुल्क में दोगुनी बढ़ोतरी के चलते इस साल चाइनीज लाइटिंग और इलेक्ट्रिक आइटमों के बाजार में सन्नाटा है।

नई दिल्लीः डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट, आयात शुल्क में दोगुनी बढ़ोतरी के चलते इस साल चाइनीज लाइटिंग और इलेक्ट्रिक आइटमों के बाजार में सन्नाटा है। आयातकों के हाथ खींचने से बाजार में माल की आवक बहुत कम हुई है और कीमतें 35 से 40 फीसदी तक अधिक बताई जा रही हैं। बहुत से रॉ मैटीरियल पर भी ड्यूटी बढ़ने के चलते घरेलू मैन्युफैक्चरर्स ने भी दाम बढ़ा दिए हैं। 

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इलेक्ट्रिकल आइटमों के सबसे बड़े बाजार भगीरथ पैलेस में दिल्ली इलेक्ट्रिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन के पूर्व प्रेजिडेंट अजय शर्मा ने बताया कि दिवाली ट्रेड के लिहाज से यह साल हालिया वर्षों में सबसे खराब रहने वाला है। दो साल पहले चाइनीज आइटमों के बहिष्कार के आह्वान के बावजूद आयात में उतनी कमी नहीं आई थी, जितनी इस साल रुपए में ऐतिहासिक गिरावट और चाइनीज उत्पादों पर लगातार टैरिफ बढ़ाए जाने से आई है। 

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लड़ियों के हब लक्ष्मी मार्केट के इम्पोर्टर प्रदीप कोचर ने बताया, 'पिछली दिवाली के बाद से चाइनीज एलईडी लाइट्स पर बेसिक कस्टम ड्यूटी दोगुनी हो चुकी है, जबकि काउंटरवेलिंग ड्यूटी, सेस और अन्य चार्जेज के साथ इम्पोर्ट कॉस्ट कम से कम दोगुनी बढ़ी है। उस पर से रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 15 फीसदी तक गिर चुका है। इससे चाइना से बहुत कम माल आया है और दाम भी 35-40 फीसदी ज्यादा हैं।' उन्होंने बताया कि मार्च के बाद से कई चाइनीज इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक आइटमों पर ड्यूटी में तीन दौर का इजाफा हो चुका है। इसके अलावा कॉपर सहित मेटल के दामों में तेजी से भी इलेक्ट्रिकल सामान उतने सस्ते नहीं रह गए हैं। 

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इम्पोर्टर्स का कहना है कि डीजीएफटी और कस्टम के लेवल पर क्लियरंस नॉर्म्स टाइट होने से जो माल एक महीने में आ जाता था, उसकी डिलीवरी में दो महीने का समय लग रहा है। डीआरआई की छानबीन भी बढ़ी है। चाइनीज इम्पोर्ट पर बंदिशों के चलते घरेलू मैन्युफैक्चरर्स के उत्पाद भी महंगे हुए हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों ने कई देसी ब्रैंड्स के साथ डील कर फेस्टिव ऑफर्स में बड़ी छूट देने की पेशकश की है। पहली बार इसमें इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज और लाइटिंग को भी शामिल किया गया है। इससे भी लोकल बाजारों की सेल्स को झटका लगा है। इस साल बाजारों में सामाजिक संगठनों की ओर से चाइना के बहिष्कार को लेकर कोई मुहिम नहीं दिख रही है। खुद ट्रेडर भी ऊंची लागत के चलते उसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। 

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