चावल निर्यात में 10 लाख टन तक की गिरावट

Edited By Supreet Kaur,Updated: 12 Jun, 2018 11:51 AM

rice exports fall by up to 10 million tonnes

बांग्लादेश द्वारा आयात में संभावित कमी के चलते भारत के चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष के दौरान पांच से 10 लाख टन तक की कमी आ सकती है। एक रिपोर्ट ने यह जानकारी दी गई है। पिछले वित्तीय वर्ष में, बांग्लादेश, अफ्रीका और श्रीलंका से गैर-बासमती चावल...

नई दिल्लीः बांग्लादेश द्वारा आयात में संभावित कमी के चलते भारत के चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष के दौरान पांच से 10 लाख टन तक की कमी आ सकती है। एक रिपोर्ट ने यह जानकारी दी गई है। पिछले वित्तीय वर्ष में, बांग्लादेश, अफ्रीका और श्रीलंका से गैर-बासमती चावल की मांग में वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2018 में देश का निर्यात वर्ष दर वर्ष 18 फीसदी बढ़कर 1.27 करोड़ टन हो गया था।

इंडिया रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2018-2019 में बांग्लादेश द्वारा आयात घट सकता है, क्योंकि 2017 में उच्च कीमतों की वजह से फसल से प्राप्त होने वाली आय और खेत के रकबे में विस्तार के कारण घरेलू उत्पादन में वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप, भारत का निर्यात पांच लाख टन से 10 लाख टन तक कम हो सकता है। भारत के कुल निर्यात में बांग्लादेश का हिस्सा वित्त वर्ष 2017 में केवल एक फीसदी के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में कुल निर्यात का लगभग 15 फीसदी भाग था। इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि पड़ेसी देश ने जुलाई 2017 और जुलाई 2018 के बीच 37 लाख टन चावल का आयात किया, जो बांग्लादेश में सबसे ज्यादा चावल का आयात है, क्योंकि वहां अचानक आई बाढ़ और कीट हमले के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ था।

भारत के बासमती चावल के सबसे बड़ा खरीदारों में ईरान और सऊदी अरब जैसे देश हैं। वर्ष 2017-18 में भारत के कुल निर्यात में इन दोनों का हिस्सा क्रमशः 7.5 फीसदी और 7 फीसदी था। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान को होने वाले निर्यात में वित्तवर्ष 2018-19 में वृद्धि होने की संभावना है। इस रेटिंग एजेंसी का मानना ​​है कि थाइलैंड और वियतनाम की तुलना में देश का निर्यात मूल्य प्रतिस्पर्धी बना रह सकता है।   

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