Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Jul, 2018 01:26 PM
भारत का कृषि-खाद्य क्षेत्र कठिन दौर में है और उसके समक्ष कई चुनौतियां हैं। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) और इंडियन काउंसिल फार रिसर्च आन इंटरनेशनल एकोनामिक रिलेशंस (इक्रियर) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
नई दिल्लीः भारत का कृषि-खाद्य क्षेत्र कठिन दौर में है और उसके समक्ष कई चुनौतियां हैं। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) और इंडियन काउंसिल फार रिसर्च आन इंटरनेशनल एकोनामिक रिलेशंस (इक्रियर) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इसमें सरकार से कृषि क्षेत्र में उच्च वृद्धि तथा किसानों की बेहतर आय सुनिश्चित करने के लिए नए साहसिक कदम उठाने तथा मौजूदा सुधारों में तेजी लाने का सुझाव दिया गया है।
‘भारत में कृषि नीतियां’ विषय पर जारी रिपार्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014 और 2016 के बीच सकल कृषि आय सालाना 6 प्रतिशत कम हुई। इसका कारण बाजार में भाव का कम होना था। हालांकि उन्हें उर्वरक, बिजली और सिंचाई जैसे विभिन्न कच्चे माल के लिए काफी सब्सिडी मिली। ओईसीडी तथा इक्रियर ने कहा, ‘‘भारत में किसानों को जटिल घरेलू बाजार नियमन तथा आयात एवं निर्यात पाबंदी का सामना करना पड़ता है। इन सबसे कई बार उत्पादकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में कम भाव मिलता है।’’ रिपोर्ट में सुधारों को आगे बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
इसमें कहा गया है कि सरकार को स्थिर और भरोसेमंद बाजार माहौल के लिए निर्यात पाबंदी का सहारा नहीं लेना चाहिए। इसके अनुसार सरकार को आयात पर शुल्कों में कमी करनी चाहिए तथा अन्य पाबंदियों को हटाना चाहिए। इसमें खाद्य सब्सिडी एक मुश्त दिए जाने (डीबीटी) की भी सिफारिश करनी चाहिए। बाजार नियमन में सुधार तथा बाजार के कामकाज को दुरूस्त करने की वकालत करते हुए रिपोर्ट में सरकार से इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार जैसे कदम को तेजी से लागू किया जाना चाहिए।
ओईसीडी तथा इक्रियर ने बजट के जरिए कच्चे माल पर दी जाने वाली सब्सिडी पर रोक लगाने और धीरे-धीरे इसे वापस लेने का सुझाव दिया है। इस कोष का उपयोग बुनियादी ढांचा तथा नवप्रवर्तन जैसी आम सेवाएं उपलब्ध कराने में उपयोग किया जाए।