महंगे डीजल से बढ़ी बिजली की मांग

Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Oct, 2018 01:40 PM

increased diesel demand increased electricity

डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से पिछले 2 महीने में बिजली की मांग बढ़ गई है। निजी बिजली उत्पादक और डीजल से चलने वाली औद्योगिक इकाइयां ग्रिड से जुड़ी बिजली की मांग कर रही हैं। इसकी वजह से इस महीने में बिजली की मांग

नई दिल्लीः डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से पिछले 2 महीने में बिजली की मांग बढ़ गई है। निजी बिजली उत्पादक और डीजल से चलने वाली औद्योगिक इकाइयां ग्रिड से जुड़ी बिजली की मांग कर रही हैं। इसकी वजह से इस महीने में बिजली की मांग पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 12.5 प्रतिशत बढ़ी है। हाल के महीने में इसमें 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जुलाई में मांग 6.6 प्रतिशत बढ़ी थी।

उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि इसकी वजह डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी है क्योंकि ज्यादातर उपभोक्ता बीते महीनों में डीजल के दाम बढऩे की वजह से बिजली का इस्तेमाल बढ़ा चुके हैं। सितंबर महीने में देश के कई इलाकों में डीजल का भाव 80 रुपये प्रति लीटर के पार चला गया था। करीब 890 मेगावॉट क्षमता की बिजली इकाइयां डीजल से चलती हैं। इनके साथ ही औद्योगिक इकाइयों ने बिजली की मांग बढ़ा दी है। 

इस क्षेत्र के एक अधिकारी ने कहा कि बिजली की मांग बढऩे से हाजिर बाजार में बिजली के दाम में बढ़ोतरी हुई है। पिछले सप्ताह हाजिर बाजार में बिजली का दाम 18 रुपये प्रति यूनिट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। हाजिर बाजार की कुल बिजली कारोबार में हिस्सेदारी महज 3 प्रतिशत है लेकिन इससे मांग आपूर्ति की स्थिति का पता चलता है। इस समय कोयला आपूर्ति कम होने की वजह से बड़ी इकाइयों में बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ है।

सरकार के हाल के आंकड़ों के मुताबिक बिजली इकाइयों में कोयले का सामान्य स्टॉक घटकर 10-12 दिन के लिए रह गया है। इस समय 10 इकाइयां ऐसी हैं, जिनके पास कोयले का स्टॉक नहीं है, 46 इकाइयों के पास 1 दिन का स्टॉक है जबकि 31 इकाइयों के पास 7 से 15 दिन के लिए कोयला है। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक बिजली इकाइयों के पास कोयले का औसत स्टॉक 13 दिन (9 अक्टूबर के आंकड़ों के मुताबिक) के लिए है।  

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