पाक के बर्खास्त जज का आरोप पाकिस्तान में न्याय पालिका और मीडिया भी सेना के कब्जे में

Edited By Pardeep,Updated: 16 Oct, 2018 02:20 AM

pak court dismisses judicial panel and media in pakistans possession

2 महीने पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय इमरान खान ने देश की शासन प्रणाली में सुधार लाने आदि की बातें कही थीं परंतु वहां के राजनीतिक प्रेक्षकों ने तभी इन्हें खारिज करते हुए कह दिया था कि वह पाकिस्तान की सेना की सहायता से चुनाव जीते...

2 महीने पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय इमरान खान ने देश की शासन प्रणाली में सुधार लाने आदि की बातें कही थीं परंतु वहां के राजनीतिक प्रेक्षकों ने तभी इन्हें खारिज करते हुए कह दिया था कि वह पाकिस्तान की सेना की सहायता से चुनाव जीते हैं अत: होगा वही जो पाकिस्तान की सेना और आई.एस.आई. चाहेगी। 

इसका पहला सबूत 7 सितम्बर को मिला जब इमरान खान ने कट्टïरपंथियों के दबाव पर अहमदिया समुदाय से संबंधित अर्थशास्त्री ‘डा. आतिफ मियां’ को आर्थिक परिषद के सलाहकार के तौर पर मनोनीत करने के तीन दिन बाद ही उनके पद से हटा दिया और दूसरा सबूत तब मिला जब 13 सितम्बर को इमरान ने देश की शक्तिशाली और बदनाम जासूसी एजैंसी ‘आई.एस.आई.’ की तारीफ करते हुए इसे पाकिस्तान की पहली रक्षा पंक्ति बताया। आज जहां इमरान खान के शासन में भी पाकिस्तानी सेना की ओर से भारत विरोधी गतिविधियां पहले की तरह ही जारी हैं वहीं सरकार पाकिस्तानी सेना और आई.एस.आई. के दबाव के आगे लगातार झुकने को मजबूर है। 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने पिछले दिनों दावा किया था कि ‘‘पाकिस्तान की सेना अभी भी देश की राजनीति और सरकार द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में दखलअंदाजी करती है। सरकार पर हावी सेना देश के राजनीतिक पटल पर मुख्य भूमिका निभा रही है।’’ ‘‘मीडिया पर सरकार का नियंत्रण है और अदालतें भी सेना की दखलअंदाजी की शिकायत कर रही हैं। सेना कानून से ऊपर ही नहीं, वहां सेना ही कानून है।’’ और अब इमरान सरकार पर पाकिस्तान की शक्तिशाली गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. के हावी होने का नवीनतम सबूत 11 अक्तूबर को मिला जब आई.एस.आई. के विरुद्ध विवादित टिप्पणी करने पर इस्लामाबाद हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ न्यायाधीश शौकत अजीज सिद्दीकी को बर्खास्त कर दिया गया। 

21 जुलाई को एक कार्यक्रम में जस्टिस सिद्दीकी ने विशेष रूप से पनामा पेपर्स के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विरुद्ध आई.एस.आई. पर न्यायिक प्रक्रियाओं में ‘तिकड़मबाजी’ करने का आरोप लगाया और कहा था कि ‘‘आई.एस.आई. अपने अनुकूल निर्णय पाने के लिए जजों के पैनल के गठन संबंधी न्यायिक प्रक्रिया में हेरफेर कर रही है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘आज न्याय पालिका और मीडिया ‘बंदूकवाला’ (सेना) के नियंत्रण में आ गए हैं तथा न्याय पालिका भी स्वतंत्र नहीं है। यहां तक कि मीडिया को सेना द्वारा निर्देश दिए जा रहे हैं।’’‘‘मीडिया अपने ऊपर पडऩे वाले दबाव और अपनी मजबूरी के कारण सच नहीं बोल रहा। मनपसंद परिणाम प्राप्त करने के लिए अनेक मामलों में आई.एस.आई. अपनी पसंद के बैंच (पीठ) गठित कर देती है।’’ 

आई.एस.आई. को निशाना बनाने वाले अपने भाषण को लेकर जस्टिस सिद्दीकी कदाचार के मामले का सामना कर रहे हैं। हाईकोर्ट के जज अनवर कांसी द्वारा सिद्दीकी के विरुद्ध आरोप खारिज करने के बाद सेना ने पाकिस्तान के चीफ जस्टिस को उक्त टिप्पणी का नोटिस लेने को कहा था। इसके बाद पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस मियां साकिब निसार के नेतृत्व में सुप्रीम ज्यूडीशियल काऊंसिल की 5 सदस्यीय समिति ने सर्वसम्मति से उनको बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी जिस पर अमल करते हुए राष्ट्रपति आरिफ अलवी द्वारा उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। 

‘शाहिद खाकान अब्बासी’ के बयान और पाकिस्तान की सुप्रीम ज्यूडीशियल काऊंसिल की सिफारिश पर राष्टï्रपति द्वारा एक न्यायाधीश को बर्खास्त किए जाने से एक बार फिर इस तथ्य की पुष्टिï हो गई है कि पाकिस्तान में अभी भी सेना और आई.एस.आई. ही सर्वेसर्वा हैं। अभी तक तो ये दोनों सरकार पर ही हावी थीं पर अब इन्होंने न्याय पालिका और मीडिया को भी अपने दबाव में ले लिया है अत: जब तक पाकिस्तान में सेना तथा आई.एस.आई. का वर्चस्व रहेगा पाकिस्तान और भारत के बीच हालात सामान्य होने की आशा करना व्यर्थ ही होगा।—विजय कुमार 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!