इमरान खान ने टेके घुटने कट्टरपंथियों के आगे

Edited By Pardeep,Updated: 12 Sep, 2018 03:18 AM

imran khan goes ahead of teck knee fanatics

18 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय इमरान खान ने अन्य बातों के अलावा ‘नया पाकिस्तान’ बनाने और पांच वर्षों में देश की शासन प्रणाली में सुधार लाने आदि की बातें कही थीं परंतु पाकिस्तान में राजनीतिक प्रेक्षकों ने कहना शुरू कर दिया...

18 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय इमरान खान ने अन्य बातों के अलावा ‘नया पाकिस्तान’ बनाने और पांच वर्षों में देश की शासन प्रणाली में सुधार लाने आदि की बातें कही थीं परंतु पाकिस्तान में राजनीतिक प्रेक्षकों ने कहना शुरू कर दिया था कि चूंकि इमरान खान सेना की सहायता से चुनाव जीते हैं अत: होगा वही जो उनके पीछे खड़े लोग (कट्टरपंथी) और पाकिस्तान की सेना चाहेगी। 

इसका सबूत 7 सितम्बर को मिल गया जब इमरान सरकार ने कट्टïरपंथियों की ओर से विरोध शुरू होते ही अहमदिया समुदाय से संबंधित अर्थशास्त्री डा. आतिफ मियां का आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य के तौर पर मनोनयन वापस ले लिया। इससे मात्र 3 दिन पहले ही डा. आतिफ मियां के काम की प्रशंसा करते हुए पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि ‘‘पाकिस्तान जितना बहुसंख्यकों के लिए है, उतना ही अल्पसंख्यकों के लिए भी है।’’ परंतु बाद में इसी फवाद चौधरी ने कह दिया कि ‘‘सरकार ने डा. आतिफ मियां की नियुक्ति वापस लेने का निर्णय लिया है। सरकार विद्वानों और सभी सामाजिक समूहों के साथ आगे बढऩा चाहती है।’’ 

पाकिस्तान में अहमदी समुदाय की जनसंख्या 40 लाख के लगभग है। वहां के संविधान में इस समुदाय का उल्लेख गैर मुस्लिम के रूप में किया गया है। कट्टïरपंथी इस समुदाय के लोगों को मुसलमान नहीं मानते। वे उन्हें निशाना बनाते रहते हैं और इनके धर्म स्थलों पर भी तोड़-फोड़ करते रहते हैं। इनकी मान्यताओं को कई इस्लामिक स्कूलों में ‘ईश निंदा’ माना जाता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट आफ टैक्नोलाजी से शिक्षा प्राप्त 43 वर्षीय डा. आतिफ मियां अमरीका की प्रतिष्ठिïत प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में प्रोफैसर हैं। वह एकमात्र पाकिस्तानी हैं जिनका नाम अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के शीर्ष 25 प्रतिभाशाली युवा अर्थशास्त्रियों की सूची में शामिल है। 

बहरहाल, इमरान सरकार द्वारा सलाहकार परिषद (ई.ए.सी.) में डा. आतिफ मियां के मनोनयन के चंद दिन बाद ही निष्कासन को लेकर पाकिस्तान में बवाल मच गया है तथा उन्हें हटाने के विरोध में अब तक पाकिस्तान के दो प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों ने सलाहकार परिषद (ई.ए.सी.) से नाता तोड़ लिया है। सबसे पहले अमरीका के हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में इंटरनैशनल फाइनांस के प्रोफैसर डा. असीम इजाज ख्वाजा ने ई.ए.सी. से त्यागपत्र दिया। इसके बाद यूनिवर्सिटी कालेज, लंदन में अर्थशास्त्र के प्रोफैसर डा. इमरान रसूल ने भी ई.ए.सी. की सदस्यता छोड़ दी। उन्होंने कहा कि, ‘‘मैं भारी मन से ई.ए.सी. से त्यागपत्र दे रहा हूं। डा. आतिफ मियां को जिस प्रकार त्यागपत्र देने के लिए कहा गया, उससे मैं बिल्कुल असहमत हूं।’’ 

इस फैसले से इमरान खान की पूर्व पत्नी जेमिमा गोल्डस्मिथ भी बेहद नाराज हैं जो इन दिनों लंदन में रह रही हैं। उन्होंने इमरान की कटु आलोचना करते हुए इसे ‘अन्यायपूर्ण एवं बेहद निराशाजनक’ बताया है। जेमिमा ने पाकिस्तानी कट्टïरपंथियों के आगे घुटने टेकने वाले इस फैसले पर कहा कि यह किसी भी सूरत में बचाव योग्य नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्नाह एक अहमदी मुसलमान को देश का विदेश मंत्री नियुक्त कर चुके हैं जबकि नई सरकार ने डा. आतिफ मियां का नाम सिर्फ इसलिए वापस ले लिया क्योंकि पाकिस्तान के कट्टïरपंथी तत्व अहमदी मुस्लिमों के खिलाफ हैं और उनका दबाव था कि आतिफ को हटाया जाए। 

डा. आतिफ मियां की नियुक्ति के विरुद्ध कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लबैक सहित अनेक कट्टïरपंथी धार्मिक समूह आक्रामक अभियान चला रहे थे व उन्होंने इसके विरुद्ध प्रदर्शन करने तक की धमकी दे दी थी। फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अहमदी समुदाय के वैज्ञानिक डा. अब्दुस सलाम ने कहा है कि अपने ही देश में प्रतिभाशाली लोगों की उपेक्षा का सिलसिला थमा नहीं है। एक ओर पाकिस्तान में इमरान खान पर कट्टरपंथी समूहों का दबाव है तो दूसरी ओर इमरान के इस निर्णय की उनके अपने ही देश में आलोचना होने लगी है। डा. आतिफ मियां का पत्ता कटने से यह स्पष्टï हो गया है कि इमरान पर कट्टïरपंथियों के अलावा पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. और सेना का भी दबाव है जिसके आगे उन्होंने झुकना शुरू कर दिया है। इब्तदाए इश्क है रोता है क्या, आगे-आगे देखिए होता है क्या!—विजय कुमार 

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