तलाशी के नाम पर नारी जाति का यह अपमान कब तक

Edited By Pardeep,Updated: 13 Sep, 2018 04:15 AM

how long will it be insulting women in the name of a search

प्राचीन भारत में नारी को अत्यंत उच्च एवं सम्मानजनक स्थान प्राप्त था और कहा जाता था कि जहां महिलाओं का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं परंतु आज महिलाओं की लाज लगातार खतरे में पड़ती जा रही है और समय-समय पर उनके साथ दुव्र्यवहार के समाचार आते...

प्राचीन भारत में नारी को अत्यंत उच्च एवं सम्मानजनक स्थान प्राप्त था और कहा जाता था कि जहां महिलाओं का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं परंतु आज महिलाओं की लाज लगातार खतरे में पड़ती जा रही है और समय-समय पर उनके साथ दुव्र्यवहार के समाचार आते रहते हैं। यहीं पर बस नहीं परीक्षाओं आदि में नकल रोकने और दंडित करने के नाम पर तथा अन्य कारणों से भी नारी जाति को अपमानजनक अनुभवों में से गुजरना पड़ता है जिसके चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

30 नवम्बर, 2017 को अरुणाचल के ईटानगर में सागली के एक स्कूल में 7वीं और 8वीं कक्षा में पढऩे वाली 88 छात्राओं को सजा के तौर पर पूरे स्कूल के सामने जबरदस्ती उनके कपड़े उतरवाए। 11 जनवरी, 2018 को मध्य प्रदेश के अली राजपुर के सरकारी स्कूल में शरारत करने पर 2 छात्राओं के कपड़े उतार कर उन्हें सजा दी गई। 

21 फरवरी को उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के सरकारी स्कूल में छठी कक्षा की छात्रा की नई यूनीफार्म का नाप लेने के बहाने कपड़े उतारने के आरोप में स्कूल के प्रिंसीपल को गिरफ्तार किया गया। 3 मार्च को महाराष्ट्र में पुणे के एम.आई.टी. विश्व शांति गुरुकुल हायर सैकेंडरी स्कूल में एच.एस.सी. की परीक्षा दे रही कुछ छात्राओं ने आरोप लगाया कि परीक्षा से पहले चैकिंग के दौरान यह जानने के लिए उनके कपड़े उतरवा दिए गए कि कहीं वे नकल करने के लिए पर्चियां तो नहीं ले जा रहीं। यहां तक कि उनको अंडर गारमैंट्स भी उतारने के लिए कहा गया। 

26 मार्च को मध्य प्रदेश में सागर स्थित डाक्टर हरि सिंह गौड़ विश्वविद्यालय में लड़कियों के होस्टल के बाथरूम के बाहर एक इस्तेमाल किया हुआ सैनेटरी नैपकिन पाए जाने पर होस्टल की वार्डन ने वहां रहने वाली छात्राओं के कपड़े उतरवा कर यह जानने के लिए तलाशी ली कि वह नैपकिन किसने फैंका होगा। 6 मई को मैडीकल कालेजों में दाखिले के लिए होने वाले सी.बी.एस.ई. के नैशनल एंट्रैंस कम एलिजिबिलिटी टैस्ट (नीट) में नकल रोकने के लिए छात्राओं को परीक्षा केंद्रों में दुपट्टïा तक ले जाने की अनुमति नहीं दी गई। 19 जून को फिरोजाबाद में पुलिस भर्ती परीक्षा में भाग लेने वाली परीक्षार्थियों के परीक्षा देने से पूर्व उनके पहने हुए मंगलसूत्र, कुंडल, नाक में पहनी लौंग और बालियों तक को उतरवा लिया गया। परीक्षार्थी महिलाओं ने इस पर आपत्ति की जिसे अधिकारियों ने नहीं सुना। 

15 जुलाई को राजस्थान में सिपाही भर्ती परीक्षा में नकल रोकने के लिए चैकिंग के दौरान भारी संवेदनहीनता दिखाई गई और नकल रोकने के नाम पर महिला उम्मीदवारों की खुले में ही तलाशी ली गई। लड़कियों के कपड़े काटे और बालों तक की तलाशी ले कर उन्हें बंधवाया गया। और अब 11 सितम्बर को मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई कस्बे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन आशीर्वाद यात्रा कार्यक्रम में शामिल होने आई कालेज की कुछ छात्राओं को अपमानजनक अनुभव में से गुजरना पड़ा। पुलिस ने मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाए जाने की आशंका से उनके काले दुप्पटों उतरवा कर अपने पास रख लिए। 

छात्राओं ने इस संबंध में आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘‘एक महिला पुलिस अधिकारी ने पहले हमारे दुपट्टे उतरवाकर हमारे ही बैग में रखवा दिए। फिर कुछ देर बाद मुख्यमंत्री के आने से पहले पुलिस ने हमारे दुपट्टïे ले लिए और कहा कि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम समाप्त हो जाने के बाद वापस लौटा दिए जाएंगे परंतु रात 8.30 बजे तक हमें हमारे दुप्पटों वापस नहीं मिल पाए। मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व विकास क्षमता कार्यक्रम के अंतर्गत करवाए जाने वाले बैचलर ऑफ सोशल वर्क (बी.एस.डब्ल्यू.) की छात्राएं मुख्यमंत्री के मुलताई पहुंचने की खबर सुनकर उनके कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची थीं जहां उन्हें इस अपमानजनक अनुभव से गुजरना पड़ा। 

नकल रोकने और अन्य अनियमितताओं से बचने के लिए सख्ती बरतना तो उचित है परंतु छात्राओं से इस प्रकार का व्यवहार करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है जिसके लिए दोषी पाए जाने वालों के विरुद्ध कड़ी शिक्षाप्रद कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।—विजय कुमार

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