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जालन्धर : सच है। खेल ही एक ऐसा कारगर हथियार है जो मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी एकता व अखंडता बनाए रखता है। इस बार खेल ने असर दिखाया है नॉर्थ और साऊथ कोरिया पर। नीतियों को लेकर अक्सर एक-दूसरे की आलोचना करने वाले इन दोनों मुलकों के नेताओं ने जनमत में एक फैसला लिया है जो यकीनन यहां के हालत सुधारने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह फैसला है विंटर ओलिम्पिक में एक साथ हिस्सा लेने का। दोनों देश एकीकृत ध्वज के साथ फ्लैग मार्च में हिस्सा लेंगे। यहां तक कि दोनों की वुमन आईस हॉकी टीम भी एक ही होगी। पीयॉन्ग चेंग में अगले महीने से विंटर ओलिम्पिक शुरू होना है। इसमें नॉर्थ कोरिया अपने खिलाडिय़ों का हौसला बढ़ाने के लिए 230 समर्थकों भी भेजेगा। यह भी बताया जा रहा है कि लगभग हज़ारों की संख्या में दक्षिण कोरियाई नागरिकों से ऑनलाइन याचिका पर साइन कर राष्ट्रपति मून जेई-इन से एकजुट हॉकी टीम का फ़ैसला वापस लेने की अपील की है। जापान भी उत्तर कोरिया के बदले रवैये पर शक़ जता रहा है और उसने कहा है कि दुनिया को प्योंगयेंग के प्रति अपनी आंखें बंद नहीं करनी चाहिए।

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हालांकि इससे पहले भी दोनों देश एक साथ कई टूर्नामेंट में भाग ले चुके हैं। लेकिन इस बार यह मौका इसलिए खास बना हुआ है क्योंकि नॉर्थ कोरिया पहले से ही परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के कारण पूरी दुनिया में निंदा का पात्र बना हुआ है। अगर भविष्य में ऐसे कदम उठते रहे तो इसे दोनों देशों के साथ विश्व भर में शांति और सद्भावना बनाए रखने के संदेश के तौर पर देखा जा सकेगा।