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इंदौर: दो महीने से भी कम समय में 40 बरस के होने वाले वसीम जाफर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में इतना कुछ हासिल कर चुके हैं जो अधिकांश खिलाड़ी हासिल नहीं कर पाते लेकिन इसके बावजूद बल्लेबाजी क्रीज पर वह दुनिया में सबसे अधिक सहज और शांति महसूस करते हैं।  

टीम में 3 अनुभवी पेशेवर खिलाडिय़ों में से एक जाफर ने विदर्भ को पहला रणजी खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई जो उनका नौवां रणजी खिताब है।  मुंबई का प्रतिनिधित्व करते हुए जाफर ने जो अपार अनुभव हासिल किया उसका विदर्भ को काफी फायदा मिला और उन्होंने लगभग 600 रन बनाने के अलावा युवा खिलाडिय़ों के लिए मेंटर की भूमिका भी निभाई।  जाफर ने स्वीकार किया कि उनमें अब काफी अधिक साल का क्रिकेट बाकी नहीं है लेकिन इस पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज ने कहा कि वह जब तक फिट रहेंगे तब तक खेलते रहेंगे।  प्रथम श्रेणी क्रिकेट में लगभग 18000 रन बना चुके जाफर ने कहा कि संभवत: किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि मैं एक और रणजी फाइनल में खेलूंगा लेकिन मैंने नौवां रणजी ट्राफी खिताब जीता।

विदर्भ के अभियान में हालांकि वह अन्य खिलाडिय़ों के योगदान को नहीं भूले हैं।  इस अनुभवी बल्लेबाज ने कहा कि विदर्भ के पास प्रतिभा थी लेकिन मुझे लगता है कि (कोच) चंद्रकांत पंडित काफी अनुशासन, सख्ती लेकर आए और उन्होंने खिलाडिय़ों को जोखिम उठाना सिखाया जिसकी मुझे लगता है कि जरूरत थी। उन्होंने कहा कि इन खिलाडिय़ों में प्रतिभा है लेकिन कभी कभी उनसे अधिक प्रयास कराने होते हैं क्योंकि उन्हें अपनी सीमा नहीं पता। इसलिए मेरी, (गेंदबाजी कोच) सुब्रतो (बनर्जी) और चंदू की मौजूदगी में आप देख सकते हैं कि वे क्या कर सकते हैं।