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जालंधर (जसमीत सिंह) किवंद्वती है- चैंपियन भी कभी 0 पर आऊट हो जाते हैं लेकिन वह कभी हारते नहीं क्योंकि उन्हें पता होता है कि जीत प्राप्त करने के लिए रास्ता कौन-सा अपनाना है। ठीक ऐसा ही मोहाली के शुभमन गिल के साथ हुआ। शुभमन अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के अहम सदस्य की भूमिका निभा रहे हैं। वल्र्ड कप की शुरुआत से पहले हुए वार्मअप मैच में शुभमन 0 पर आऊट हो गए थे। लेकिन इसके बाद जब वल्र्ड कप का अपना पहला मैच ऑस्ट्रेलिया के साथ खेला तो शुभमन ने मजबूती से अपनी मौजूदगी पेश की। पृथ्वी शाह के अलावा शुभमन ने उक्त मैच में छाप छोड़ते हुए 54 गेंदों में 63 रन बनाए। इसमें 6 चौके और एक छक्का शामिल था। इसके बाद पापुआ न्यू गिनी के खिलाफ हुए मैच में शुभमन को बैटिंग का मौका नहीं मिला। लेकिन इस चैंपियन ने जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले गए तीसरे मैच में शानदार प्रदर्शन रखते हुए 90 रन बनाए। इसके लिए शुभमन ने 59 गेंद खेलीं। 13 चौके और एक छक्का भी लगाया। लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा चर्चा शुभमन के शॉट सिलेक्शन की हुई। जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलते हुए शुभमन ने जो एक मात्र छक्का मारा उसे देख कई क्रिकेट एक्सपर्ट उनकी तुलना विराट कोहली से कर रहे हैं। खुद बीसीसीआई के ट्विटर अकाऊंट पर कोहली और शुभमन के शॉर्ट आर्म जैब शॉट को कंपेयर किया गया है। 

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4 मैच : 405 नाबाद, एक ट्रिपल सेंचुरी, दो सेंचुरी
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अंडर-14 और 16 क्रिकेट में पंजाब के लिए सबसे ज्यादा स्कोर बनाने वाला शुभमन लगातार दो साल जूनियर क्रिकेटर ऑफ द ईयर के अवॉर्ड से सम्मानित हो चुका है। शुभमन ने अंडर-16 इंटर डिस्ट्रिक्ट एमएल मरकन ट्रॉफी के 4 मैचों में 1015 रन बनाए थे। इसमें रोपड़ के खिलाफ खेली गई नाबाद 405 रन की पारी भी शामिल हैं। इसी सीरीज में उन्होंने एक ट्रिपल सेंचुरी और दो सेंचुरी लगाई थीं।

विजय मर्चेंट ट्रॉफी के डेब्यू में लगाया दोहरा शतक

शुभमन अंडर-16 विजय मर्चेंट ट्रॉफी में अपने डेब्यू मैच में नाबाद दोहरा शतक लगाकर चर्चा में आए थे। हालांकि इससे पहले अंडर-16 के एक मैच में उन्होंने अपने साथी निर्मल सिंह के साथ रिकॉर्ड 587 रन की पारी खेली थी। जिसकी बदौलत वह सिलेक्टर्स की नजरों में आए।

तकिये के साथ बैट रखकर सोता था शुभमन
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शुभमन गिल का जन्म 8 सितंबर 1999 को फाजिल्का के गांव जैमल सिंगवाला में हुआ था। पिता जमींदार लखविंदर सिंह का शुरू से क्रिकेट में इंटरेस्ट रहा था। गांव में कभी शुभमन आगे नहीं बढ़ पाएगा, यह सोच लखविंदर परिवार के साथ मोहाली आ गए। यहां शुभमन पीसीए में ट्रेनिंग के लिए जाने लगा। लखविंदर सिंह ने बताया कि शुभमन को बचपन से क्रिकेट से प्यार था। कई बार तो वह तब तक नहीं सोता था जब तक उसके तकिये के पास बैट न रख दो। शुभमन के दादा ने पहली बार उसे लकड़ी का बैट बनाकर दिया था। वह सारा दिन इससे खेलता।